नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहा. 16 दिनों की बैठकों में महज गिनती के घंटों में सार्थक चर्चा हुई. राज्य सभा में सांसदों के अशोभनीय आचरण से सभापति वेंकैया नायडू भावुक भी हुए. इसी बीच राज्य सभा सदस्य और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि संसद में हंगामे कारण दोनों सदनों में सभापति का तटस्थ न होने के अलावा सरकार का अपनी बातों से मुकर जाना है.
पी चिदंबरम ने संसद में जासूसी विवाद पर कोई चर्चा नहीं होने पर कहा, उच्चतम न्यायालय केवल एक उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी एकता बनाने में आने वाली मुश्किलें दूर होंगी और 2024 के चुनावों से पहले ऐसा हो जाएगा. पेगासस जासूसी मामले पर चिदंबरम ने कहा, 'मैं आशा करता हूं कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा और जांच का आदेश देगा.'
संसद में कांग्रेस के रणनीति संबंधी समूह के सदस्य चिदंबरम ने मानसून सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की 'अनुपस्थिति' को लेकर सवाल किया और यह आरोप लगाया कि भाजपा सरकार को संसद के प्रति बहुत कम सम्मान है और अगर प्रधानमंत्री मोदी एवं अमित शाह की चले तो वो 'संसद को बंद कर देंगे.'
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2024 में भाजपा के मुकाबले विपक्षी एकजुटता बनाने में निश्चित तौर पर कुछ परेशानियां आएंगी, लेकिन धैर्य, बातचीत और बैठकों के जरिये यह संभव हो जाएगा.
राज्यसभा में गत बुधवार को हुए हंगामे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह स्थिति उस वक्त पैदा हुई जब सरकार अपने कहे इन शब्दों से पीछे हट गई कि ओबीसी संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पारित होने के बाद सदन की बैठक को अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दिया जाएगा.
उनके मुताबिक, विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया था कि वह बीमा संबंधी कानूनों में संशोधन करने वाले विधेयक के विरोध में है और इसे संसद की प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए. इसको लेकर कोई सहमति नहीं बनी तो यह कहा गया कि इसे संसद के इस सत्र में चर्चा और पारित कराने के लिए नहीं लिया जाएगा.
चिदंबरम ने दावा किया, 'संवैधानिक संशोधन विधेयक सर्वसम्मति से पारित होने के बाद सरकार ने बीमा विधेयक और एक या दो अन्य विधेयकों को पारित कराने का प्रयास किया. यह चुपके से विधेयकों को पारित कराने की भाजपा की परिपाटी को आगे बढ़ाना था. ऐसे में विपक्ष ने सरकार का पुरजोर विरोध किया.'
उन्होंने आरोप लगाया, 'मैं यह कहते हुए माफी चाहता हूं कि आसन ने तटस्थ भूमिका नहीं निभाई और ऐसे में संसद में हंगामा हुआ. परंतु हंगामे की शुरुआत सरकार की ओर से चुपके से विधेयक पारित कराने के प्रयास से हुई.'