सरकारी स्कूल के रेखागणित में 'शाहरुख खान' की एंट्री, प्राइवेट स्कूल छोड़ इस स्कूल में दाखिला ले रहे बच्चे
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के सरकारी स्कूल में रेखागणित इस अंदाज में पढ़ाया जा रहा है कि अब बच्चे प्राइवेट स्कूल छोड़ इस स्कूल में दाखिला ले रहे हैं. बता दें कि एक अतिथि शिक्षक द्वारा बच्चों को अलग तरीके से विज्ञान, हिंदी और रेखागणित बताया और सिखाया जा रहा है, जिसमें एक कोण का नाम तो शाहरुख खान कोण रखा गया दिया. फिलहाल रेखागणित में शाहरुख खान की एंट्री की चर्चा हर तरफ है.
रेखागणित में शाहरुख खान की एंट्री
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Published : Apr 19, 2023, 7:40 AM IST
रेखागणित में शाहरुख खान की एंट्री
छिंदवाड़ा।ज्योमिट्री में अलग-अलग कोणों को समझना बच्चों के लिए सबसे मुश्किल होता है. लेकिन छिंदवाड़ा के सरकारी स्कूल के शिक्षक ने ज्यामिती यानि रेखागणित के इन कोणों को आसान बनाने नया प्रयोग किया है. बच्चे खेल खेल में समकोण, अधिक कोण, ऋजु कोण बनाना सीख सकें, इसके लिए उन्होने बगैर कॉपी पेंसिल और किताब के अपने ढंग से विधि इजाद की कि बच्चों के दिमाग में कोण के साथ उसकी डिग्री पैबस्त हो जाए मिसाल के तौर पर सरल कोण शाहरुख खान कोण नाम दिया गया है.
सरल कोण को दिया शाहरुख खान का नाम:पलटवाड़ा के सरकारी स्कूल में अतिथि शिक्षक के तौर पर सेवाएं दे रहे अखिलेश निर्मलकर ने कम संसाधन में बच्चों को गणित के डर से दूर करने के लिए एक पद्धति एजाद की है, जिसमें गणित बड़े आसानी से समझा देते हैं. खास बात यह है कि उन्होंने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के नाम पर सरल कोण बनाना सिखाया है. शिक्षक का कहना है कि "जिस तरह से अभिनेता शाहरूख खान दोनों हाथ फैलाकर अभिनय करते हैं, उसी तरीके से सरल कोण बनता है. बच्चों को जब शाहरुख खान कोण के बारे में बताया तो वो भी खुशी-खुशी अभिनेता का अभिनय करने लगे और आसानी से गणित समझने लगे."
बच्चे खेल-खेल में सीख रहे पढ़ाई:शिक्षक का कहना है कि "गणित का नाम आते ही अधिकतर बच्चों के मन में डर बैठ जाता है और गांवों के स्कूलों में विज्ञान के लिए संसाधनों की भी कमी होती है, इन दोनों विषयों में बच्चों को रुचि पैदा हो सके, इसलिए मैंने अलग-अलग तरीके अपनाना शुरू किए. विज्ञान पढ़ाने के लिए भी बच्चों को कलम, पेन या बोर्ड की सहायता नहीं लेते हुए, बल्कि इसका सीधा प्रयोग करके दिखाया, जिससे बच्चों के दिमाग में सीधा असर करें और खेल खेल में बच्चे से सीख सकें. इसी तरह हिंदी के पर्यायवाची शब्दों के लिए भी गांव की पारंपरिक संगीत की धुनों को तैयार किया गया है."
प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी अब सरकारी स्कूल में पढ़ने को तैयार: शिक्षक की पढ़ाई के तरीके और स्कूल की पढ़ाई का स्तर देखकर अब प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी इस स्कूल मैं पढ़ाई करने आ रहे हैं. प्राइवेट स्कूल छोड़कर इस स्कूल में पढ़ाई करने वाली एक छात्रा ने बताया कि "हमारे प्राइवेट स्कूल में भरपूर संसाधन हुआ करते थे, लेकिन तरीका इतना अच्छा नहीं था. यहां के शिक्षक खेल-खेल में मनोरंजन के साथ इतनी अच्छी पढ़ाई करा देते हैं कि हमें समस्या नहीं आती, जबकि पहले गणित और विज्ञान का नाम सुनकर ही हम डर जाते थे."