छिंदवाड़ा। हाथों में पत्थर, जुबां पर चंडी का नाम और एक-दूसरे को जख्मी करने का जुनून. कुछ ऐसा ही है गोटमार मेला. जिसमें दो गांवों के लोग परंपरा के नाम पर एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना गांव और सावर गांव के बीच हर साल ये खूनी खेल खेला जाता है. जिसमें हजारों लोग घायल होते हैं. फिर भी परंपरा के नाम पर कई दशकों से ये पागलपन जारी है. संसार में अपनी अलग छाप छोड़ने वाले गोटमार मेले में मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के पांढुर्णा तहसील में 27 अगस्त को जमकर पत्थरबाजी हुई, इसमें 125 लोग घायल हुए हैं. 2 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है जिन्हें नागपुर के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.(Gotmar Mela 2022) (Chhindwara Gotmar Mela 125 Injured)
परंपरा के नाम पर पत्थरबाजी:पांढुर्ना में परंपरा के नाम पर पत्थर बरसाने वाला गोटमार मेला हर वर्ष पोला पर्व के दूसरे दिन खेला जाता है. जिले के पांढुर्ना और सावरगांव के बीच जाम नदी के किनारे यह मेला लगता है. इस मेले में पलाश के लंबे पेड़ को जाम नदी के बीच में एक झंडे के साथ खड़ा किया जाता है. इस झंडे को तोड़ने के नाम पर दोनों गांव के लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं. पथराव उन लोगों पर किया जाता है , जो बीच नदी में खड़े झंडे को हटाने की कोशिश करते हैं. जिस गांव का व्यक्ति उस झंडे को वहां से हटाने में सफल हो जाता है, वह गांव विजयी माना जाता है. यह पथराव तब तक नहीं रुकता जब तक झंडा नदी के बीच से ना हटा लिया जाए. (Chhindwara Gotmar Mela)
खूनी परंपरा के बीच हेलमेट पहने दिखा प्रशासन: गोटमार मेला में नदी में लगा झंडा पांढुर्ना पक्ष के लोगों ने तोड़कर जीत हासिल की. परंपरा के नाम पर खूनी खेल खेलते वक्त किसी के पैरों में चोट लगी तो किसी के पैर फैक्चर हुए. इस दौरान 125 लोग घायल हो गए हैं. इनमें दो गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें नागपुर रेफर किया गया है. मेले की परंपरा को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इलाके में धारदार हथियार लेकर चलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. शनिवार को मेले में जिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई थी वे हेलमेट पहनकर ड्यूटी करते नजर आए. कलेक्टर, एसपी समेत प्रशासनिक अमला हेलमेट पहने मेले में मौजूद रहा, फिर भी ये खूनी खेल चलता रहा. (Chhindwara stone pelting game)