दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Chhawla gangrape murder case: मौत की सजा पाए 3 दोषियों को बरी करने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाएं खारिज

दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में युवती से गैंगरेप और हत्या के मामले में तीन दोषियों को बरी किये जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार की याचिका खारिज कर दी है (Chhawla gangrape murder case). जानिए कोर्ट ने क्या टिप्पणी की.

By

Published : Mar 28, 2023, 10:42 PM IST

Chhawla gangrape murder case
पुनर्विचार की याचिका खारिज

नई दिल्ली :दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में 19 साल की लड़की से गैंगरेप और हत्या के मामले में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने तीन दोषियों को बरी किये जाने के फैसले पर पुनर्विचार की याचिका खारिज कर दी है.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि इस अदालत द्वारा पारित फैसले की समीक्षा में कोई तथ्यात्मक या कानूनी त्रुटि नहीं है. दिल्ली सरकार के अलावा, पीड़िता के पिता, उत्तराखंड बचाओ आंदोलन और उत्तराखंड लोक मंच की कार्यकर्ता योगिता भयाना ने फैसले की समीक्षा की अपील की थी.

पीठ ने कहा कि 'रिकॉर्ड पर निर्णय और अन्य दस्तावेजों पर विचार करने के बाद, हमें इस न्यायालय द्वारा पारित पहले के निर्णय की समीक्षा की आवश्यकता वाले रिकॉर्ड पर कोई तथ्यात्मक या कानूनी त्रुटि नहीं मिलती है.'

पीठ ने अपने 2 मार्च के आदेश में कहा, 'यहां तक ​​कि अगर कोई घटना, जिसका मौजूदा मामले से कोई संबंध नहीं है, फैसले की घोषणा के बाद हुई थी, जो समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने के लिए आधार नहीं होगी.' आदेश मंगलवार को अपलोड किया गया.

उत्तराखंड बचाओ आंदोलन और उत्तराखंड लोक मंच की भयाना द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत ने कहा कि एक ऐसे व्यक्ति के उदाहरण पर आवेदन जो आपराधिक कार्यवाही में पक्षकार नहीं था, विचारणीय नहीं है.

शीर्ष अदालत ने 8 फरवरी को मामले में मौत की सजा पाए तीन दोषियों को बरी करने के अपने फैसले की समीक्षा के लिए याचिकाओं पर विचार करने के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी.

ये है मामला :2012 में तीनों आरोपियों ने कथित तौर पर लड़की से गैंगरेप किया, उसकी हत्या कर दी और पेचकश और अन्य हथियारों से उसके शरीर को क्षत-विक्षत कर दिया. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी और हाई कोर्ट ने अगस्त 2014 में इसे बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और पिछले साल नवंबर में उन्हें अपराधों से बरी कर दिया, जिससे फैसले पर बहस छिड़ गई.

दरअसल एक दोषी को मौत की सजा देने वाले फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका को छोड़कर, ऐसी याचिकाओं पर चैंबर्स में विचार और निर्णय लिया जाता है.

पढ़ें-छावला गैंगरेप-मर्डर केस : आरोपी बरी, SC ने कहा-जज से निष्क्रिय अंपायर की अपेक्षा नहीं की जाती

(PTI)

ABOUT THE AUTHOR

...view details