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Key Reasons for BJP Victory In Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में बीजेपी वन्स अगेन , एग्जिट पोल की खुली पोल, जानिए जीत का फैक्टर ? - BJP Victory In Chhattisgarh

Key Reasons for BJP Victory In Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने 2023 की लड़ाई कांग्रेस से जीत ली है.इस लड़ाई की सबसे बड़ी खास बात ये है कि इस जंग में कांग्रेस के बड़े दिग्गजों को मुंह की खानी पड़ी है.मैदानी इलाकों को छोड़ दे तो कांग्रेस की घोषणाओं का कोई बड़ा असर देखने को नहीं मिला है.बस्तर,सरगुजा और दुर्ग संभाग में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया.आईए आपको बताते हैं वो कौन से फैक्टर हैं,जिनकी वजह से बीजेपी जीती.Chhattisgarh Vidhan Sabha Chunav Result 2023 News Updates

Key Reasons for BJP Victory In Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बीजेपी वन्स अगेन

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 3, 2023, 6:10 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सारे एग्जिट पोल की पोल खोलकर रख दी है.चुनाव के दौरान जिस तरह से जनता ने शांति से मतदान किया.ठीक उसी तरह से चुनाव नतीजे आएं.बिल्कुल शांतिपूर्ण तरीके से प्रदेश से कांग्रेस का राज खत्म हो गया.आईए आपको बताते हैं वो कौन से कारण थे.जिनके कारण बीजेपी ने कांग्रेस को पटखनी दे दी है.

चुनाव की तारीखों से पहले 21 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान : बीजेपी ने पहली बार बिना घोषणापत्र और चुनाव तारीखों के एलान के ही 21 विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया था. जब 21 सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशियों का ऐलान किया.तो कांग्रेस ने इसे डरकर हथियार डाल देने वाला बताया था.लेकिन बीजेपी की प्लानिंग कुछ और थी.बीजेपी ने पहले विधानसभा प्रत्याशियों का ऐलान करके कहीं ना कहीं अपने प्रत्याशियों को तीन महीने से ज्यादा का समय दिया.ताकी वो जनता के बीच में जाकर मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रचार प्रसार कर सके.इसका फायदा ये हुआ है कि जिन लोगों को बीजेपी के कैंडिडेट के बार में नहीं पता था.उनके पास प्रत्याशी एक से ज्यादा बार पहुंचे. जब छत्तीसगढ़ में काउंटिंग के शुरुआती रुझान आए तो इन 21 सीटों में से 10 में बीजेपी को जीत हासिल हुई.21 सीटों में सीएम भूपेश बघेल के अलावा प्रदेश के कद्दावर मंत्रियों के खिलाफ भी प्रत्याशी बीजेपी ने उतारे थे.

महिला सुरक्षा को लेकर बीजेपी की आक्रामकता :छत्तीसगढ़ में जब चुनाव कैंपेन शुरु हुआ तो बीजेपी ने महिला सुरक्षा को लेकर काफी माहौल बनाया.बच्चियों के साथ रेप, राजधानी रायपुर में एसपी कार्यालय के नीचे दुष्कर्म, नवा रायपुर में गैंगरेप और बस्तर में पोटाकेबिन में बच्चियों के साथ रेप को लेकर बीजेपी काफी आक्रामक दिखी.प्रदेश के हर संभाग में ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें रेप के आरोपियों में कांग्रेस संघठन से जुड़ा कोई ना कोई सदस्य जरुर होता.इस चीज को लेकर बीजेपी जनता के बीच गई.महिलाओं ने घर-घर जाकर लोगों को ये बताया कि कैसे कांग्रेस के राज में प्रदेश के अंदर बहू बेटियां सुरक्षित नहीं है.

महतारी वंदन योजना का फॉर्म : बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में इस बार महतारी वंदन योजना को शामिल किया था. जिसके कारण महिलाओं तक ये योजना हाथों-हाथ पहुंची. कैडर वोट्स के साथ वो वोट जो बीजेपी के नहीं थे.वो इस योजना से काफी प्रभावित हुए.जिसके कारण बीजेपी ने इस योजना के फॉर्म हर विधानसभा में भरवाने शुरु कर दिए.इस बात का पता जब कांग्रेस को चला तो आनन फानन में गृहलक्ष्मी योजना की घोषणा सीएम भूपेश बघेल ने दीपावली के दिन की.लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. सामने त्योहार थे और लोगों ने इस घोषणा को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. दूसरे चरण के वोटिंग में 70 सीटों पर बीजेपी की महतारी वंदन योजना का बड़ा असर देखने को मिला.

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कांग्रेस के दिग्गज मंत्रियों का टिकट ना काटना : इस बार कांग्रेस ने पार्टी के अंदर सर्वे के बाद कई लोगों के टिकट कटने के संकेत दिए थे.लेकिन जब टिकट का ऐलान हुआ तो ये देखा गया कि कांग्रेस के जिन सीटिंग विधायकों के टिकट कटे उनमें एक भी मंत्री शामिल नहीं था.जबकि प्रदेश में हर ओर मंत्रियों के रवैये से जनता परेशान थी.मंत्री जनता को समय नहीं देते थे.इसके अलावा कई बड़े मौकों पर मंत्रियों को बयानों पर सीएम भूपेश को आगे आकर बचाना पड़ता था.

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सीएम फेस का ना होना :कांग्रेस जब पिछली बार सत्ता में आई तो उसने सिंहदेव को सामने रखकर चुनाव लड़ा था.इसके बाद जब कांग्रेस ने 68 सीटें जीती तो मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान शुरु हुई.ऐसे में भूपेश बघेल को चार दावेदारों में से चुना गया. इस चीज को लेकर जो खटास नेताओं के बीच पड़ी वो पूरे पांच साल देखी गई. इस बार जब तक सीएम भूपेश का नाम ऑनलाइन सट्टा एप समेत कई घोटालों में नहीं आया था.तब तक पूरे प्रदेश में भूपेश है तो भरोसा का कैंपेन चला.लेकिन जब भूपेश विवादों में घिरे तो भूपेश का नाम हटा लिया गया. इसके बाद कांग्रेस ने भरोसे का सम्मेलन के जरिए कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश की.जिसका असर नहीं हुआ.हर बार टीएस सिंहदेव यही कहते दिखे कि पार्टी भूपेश को सीएम बनाएगी.इसका असर भी नतीजों पर पड़ा है.

ओबीसी उम्मीदवारों को प्राथमिकता :बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की सूची में सबसे ज्यादा ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा.प्रदेश में ओबीसी वोटर्स की संख्या भी ज्यादा थी.लिहाजा बीजेपी का ये दांव काम कर गया. लगभग हर विधानसभा में ओबीसी वोटर्स ने बीजेपी पर भरोसा जताया. वहीं बीजेपी के कैडर वोट

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