Chhattisgarh Election 2023 : बीजेपी की पहली सूची में जाति और समाज का दिखा तालमेल, महिलाओं को भी मौका, हाईप्रोफाइल सीटों पर पहले फोकस - छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव
Chhattisgarh Election 2023 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी गई. इन 21 उम्मीदवारों में एक सीट अनुसूचित जाति, दस सीटें अनुसूचित जनजाति की हैं. वहीं सामान्य सीटों पर भी जनजातीय समीकरण देखते हुए उम्मीदवारों का चुनाव किया गया है. आईये आपको बताते हैं बीजेपी की इस पहली सूची की खास बात क्या है.
बीजेपी की पहली सूची में जाति और समाज का दिखा तालमेल
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Published : Aug 17, 2023, 10:13 PM IST
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Updated : Aug 18, 2023, 9:21 AM IST
बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी
रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है पहली सूची में भाजपा ने 21 प्रत्याशियों के नाम का एलान किया है. भाजपा कि ओर से जारी इस सूची में सभी वर्गों के प्रत्याशियों को साधने की कोशिश की है. भाजपा ने 21 प्रत्याशियों की सूची जारी कर बाजी मार ली है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 21 प्रत्याशियों का एलान करके भाजपा चुनावी संग्राम में एक कदम आगे बढ़ गई है.
बीजेपी की पहली सूची में जाति और समाज का दिखा तालमेल
पहली सूची में महिला शक्ति को स्थान :बीजेपी की इस पहली लिस्ट में पांच महिलाओं को टिकट दिया गया है. खल्लारी से अलका चंद्राकर, खुज्जी से गीता घासी साहू,भटगांव से लक्ष्मी राजवाड़े, भटगांव से शकुंतला सिंह पोर्ते और सरायपाली से सरला कोसरिया को उम्मीदवार बनाया गया है. इसमें सरगुजा संभाग की दो सीटें भी शामिल हैं.
भटगांव की बात करें तो यहां पर कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े विधायक हैं. यहां से बीजेपी ने लक्ष्मी राजवाड़े को टिकट दिया है. भटगांव सामान्य सीट है, जहां से 2018 में बीजेपी ने रजनी त्रिपाठी को टिकट दिया था. लेकिन रजनी त्रिपाठी चुनाव नहीं जीत सकीं.
वहीं प्रतापपुर से कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम विधायक हैं. टेकाम ने 2018 में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को हराया था. लेकिन इस बार बीजेपी ने उम्मीदवार बदलते हुए वकील शकुंतला सिंह पोर्थे को टिकट दिया है.
खल्लारी से मौजूदा समय में द्वारिकाधीश यादव विधायक हैं, जहां से अलका चंद्राकर को बीजेपी ने टिकट दिया है. वहीं खुज्जी से कांग्रेस विधायक चन्नी साहू हैं. इस सीट से बीजेपी ने गीता घटी साहू को टिकट सौंपा है. खुज्जी में चुन्नी साहू फिलहाल अपनी ही पार्टी से नाराज चल रही हैं, जिसका प्रमाण वो कई मौकों पर दे चुकी हैं.
बीजेपी ने सरायपाल से सरला कोसरिया को उम्मीदवार बनाया है. पिछली बार यहां से बीजेपी के श्याम तांडो को किस्मत नंद ने हराया था.लेकिन इस बार स्थानीय मतदाताओं में मौजूदा विधायक को लेकर नाराजगी की खबरें आ रही हैं.लिहाजा बीजेपी इस सीट पर महिला प्रत्याशी को मौका देकर बाजी पलटना चाहती है.
भाजपा ने आज 21 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया है. भाजपा ने अनुसूचित जाति जनजाति ओबीसी और सामान्य को टिकट दिया है. सभी वर्ग के हितों की रक्षा करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने पहले प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर अगुवाई ले ली है. यह अगुवाई आने वाले नवंबर में विधानसभा चुनाव तक आगे रहेगी. छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनाएगी. -बृजमोहन अग्रवाल, वरिष्ठ भाजपा नेता
साहू जाति से चार उम्मीदवारों को मौका : बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में खरसिया विधानसभा सीट से महेश साहू, अभनपुर से इन्द्रकुमार साहू, राजिम से रोहित साहू और खुज्जी से गीता घासी साहू को उम्मीदवार बनाया है.ये सभी उम्मीदवार साहू समाज से आते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले सूचियों में ओबीसी वर्ग को ध्यान में रखकर बीजेपी टिकट बांटेगी.आपको बता दें कि प्रदेश के अंदर साहू समाज का दबदबा पहले के मुकाबले अब ज्यादा है.कई सामाजिक कार्यक्रमों में साहू समाज के नेता राजनीतिक दलों से टिकट की मांग कर चुके हैं.
पाटन में कौन देगा पटखनी:दुर्ग विधानसभा की हाईप्रोफाइल सीट में से एक पाटन है.क्योंकि यहां से सीएम भूपेश चुनाव लड़ते हैं.इस सीट पर बीजेपी ने विजय बघेल को टिकट दिया है जो रिश्ते में सीएम भूपेश के भतीजे लगते हैं. विजय बघेल पहले कांग्रेस में ही थे.लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद विजय बघेल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. विजय बघेल पहले भी इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं.जिसमें उन्होंने भूपेश बघेल को पटखनी दी थी.
2008 में भूपेश बघेल के शिकस्त दे चुके हैं विजय बघेल:दुर्ग सांसद विजय बघेल पहले भी पाटन से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं. 2008 के विधानसभा चुनाव में विजय बघेल ने इस सीट से भूपेश बघेल को शिकस्त दी थी. 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी0 ने विजय बघेल के मौका नहीं दिया. इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में विजय बघेल दुर्ग सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को हराकर सांसद बने. अब एक बार फिर पार्टी में उन पर भरोसा करते हुए सीएम बघेल से मुकाबले के लिए चुनावी मैदान में उतारा है. विजय बघेल भाजपा की 31 सदस्यीय घोषणा पत्र समिति के प्रमुख भी हैं.
एसटी सीटों पर भाजपा के दिग्गज ठोकेंगे ताल:छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री रामविचार नेताम रामानुजगंज (एसटी) सीट से चुनाव लड़ेंगे. भाजपा प्रवक्ता देवलाल हलवा ठाकुर डौंडीलोहारा (एसटी) सीट से चुनाव लड़ेंगे, जबकि पूर्व विधायक संजीव शाह मोहला-मानपुर (एसटी), श्रवण मरकाम सिहावा (एसटी) और लखनलाल देवांगन कोरबा सीट से चुनाव लड़ेंगे. राजनांदगांव जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू को खुज्जी सीट से मैदान में उतारा गया है, जबकि राजनांदगांव जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के रिश्तेदार खैरागढ़ सीट से चुनाव लड़ेंगे.
2018 में सभी इन 21 सीटों पर कांग्रेस जीती:हैरानी की बात ये है कि इन सभी सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. सभी 21 सीटें पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहराया था. साल 2013 में भी भाजपा को इन 21 में से 16 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था.
बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची पर दीपक बैज ने किया तंज
पहली बार ऐसा हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी ने डेढ़ महीने पहले ही 21 प्रत्याशियों का टिकट घोषित कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी कहीं अपने प्रत्याशियों को उतारकर टेस्टिंग तो नहीं कर रहा है. प्रत्याशी को मैदान में उतारने के बाद अगर कुछ गड़बड़ी लगता है तो सभी प्रत्याशियों के नाम वापस कर दूसरे नामों की घोषणा की जाएगी. भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र भी जारी नहीं किया है. -दीपक बैज, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
भाजपा ने हड़बड़ी में 21 लोगों की सूची जारी कर दी लेकिन अभी तक यह नहीं बताया कि छत्तीसगढ़ में भाजपा का चेहरा कौन होगा. चुनाव आचार संहिता लगने तक 21 लोगों के नामों में से फिर कितने नामो में कटौती की जाएगी. भाजपा संशोधित सूची कितने बार जारी करेगी. भाजपा कुछ भी कर ले, कांग्रेस 75 से अधिक सीट जीतकर पुनः सरकार बनाएगी.-धनंजय सिंह ठाकुर, प्रवक्ता, कांग्रेस
जल्दी प्रत्याशी घोषणा के क्या है मायने:वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उचित शर्मा का मानना है कि भाजपा ने अपने पुराने अनुभव के आधार 21 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है. पूर्व में कर्नाटक और हिमाचल के विधानसभा चुनाव से भाजपा ने कुछ सीखा है. हिमाचल में 20 प्रत्याशी ऐसे थे जो भाजपा के बागी थे. कर्नाटक में भी बागी कैडिटेट से सामंजस्य बैठाने का समय नहीं मिल पाया. लेकिन छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान होने से पहले अपने प्रत्याशियों के नाम डिक्लेयर किए है. भाजपा की ओर से जारी किए गए नाम में अब भाजपा को ऐसे नाराज लोगों को साधने का वक्त मिल जाएगा.
भाजपा ने ऐसा पहली बार किया है. इसे पूर्व के अनुभवों का आधार माना जा सकता है. भारतीय जनता पार्टी का यह पहले से तय था कि विधानसभा चुनाव में नए लोगों को मौका दिया जाएगा. 50 सीटें युवाओं और नए चेहरों को देना है, उसी दिशा में भाजपा काम कर रही है. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने नए प्रत्याशियों को उतारा था. अब विधानसभा चुनाव में भी भाजपा प्रदेश में यह एक्सपेरिमेंट करने की तैयारी में है. -उचित शर्मा, राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार
डिप्टी सीएम के क्षेत्र में बीजेपी ने जारी किए पांच टिकट :
प्रेमनगर विधानसभा (अनारक्षित ) - बीजेपी ने सामान्य सीट प्रेमनगर से आदिवासी नेता भूलन सिंह नेताम को टिकट दिया है.भूलन सिंह 50 वर्षीय कद्दावर नेता हैं. भूलन सिंह मरावी पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष हैं. भूलन सिंह ने रामानुजनगर क्षेत्र से 2015 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता था.इसके बाद बीजेपी ने उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष उम्मीदवार बनाया था. लेकिन क्रॉस वोटिंग की वजह से भूलन अध्यक्ष नहीं बन सके थे. वतर्मान में बीजेपी संगठन का दायित्व भूलन सिंह संभाल रहे थे. भूलन सिंह मरावी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत रामानुजनगर जिला सूरजपुर से की थी.कई बार वो अपने ही गांव में सरपंची कर चुके हैं.
भटगांव विधानसभा (अनारक्षित) - बीजेपी ने सरगुजा दी दूसरी सामान्य सीट से भी आदिवासी वर्ग की प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया है.लक्ष्मी राजवाड़े युवा महिला नेता हैं.लक्ष्मी राजवाड़े वर्तमान समय में सूरजपुर जिला पंचायत सदस्य है. जो लटोरी-सिलफिली क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई थी. सूरजपुर महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी लक्ष्मी राजवाड़े संभाल रहीं हैं. लक्ष्मी के पति ठाकुर राजवाड़े सूरजपुर जिले में ही ग्राम पंचायत में सचिव हैं.
प्रतापपुर विधानसभा (अनूसूचित जनजाति) - बीजेपी के पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा इस सीट से चुनाव जीते थे.जिन्हें 2018 में प्रेमसाय सिंह टेकाम ने हराया.अबकी बार बीजेपी ने 44 साल की शकुंतला पोर्ते को टिकट दिया है. शकुंतला पोर्ते वकील हैं. वर्तमान में शकुंतला महिला मोर्चा बलरामपुर की अध्यक्ष हैं. शकुंतला पोर्तें लंबे समय से बीजेपी में सक्रिय हैं. शकुंतला पोर्ते के पति आरक्षक हैं.
लुंड्रा विधानसभा (अनूसूचित जनजाति)- लुंड्रा विधानसभा सीट से पहले भी प्रबोध मिंज को उम्मीदवार बनाने की मांग की जा रही थी. लेकिन इस बार बीजेपी ने प्रबोध मिंज पर भरोसा जताया है.मौजूदा समय में प्रबोध मिंज बीजेपी के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य और अंबिकापुर निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं. प्रबोध मिंज पेशे से सिविल इंजीनियर हैं. अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र के दो बार महापौर रह चुके हैं. रमन शासन काल में प्रबोध मिंज अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं. इस विधानसभा में ईसाई वोटर्स ज्यादा हैं.जिनमें प्रबोध मिंज की अच्छी पकड़ है. कांग्रेस के डॉ. प्रीतम राम इस सीट से मौजूदा विधायक हैं.
रामानुजगंज विधानसभा (अनूसूचित जनजाति)- हाईप्रोफाइल माने जाने वाली रामानुजगंज विधानसभा से इस बार पार्टी ने अपने कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम को टिकट दिया है. रामविचार नेताम आदिवासियों के बीच काफी लोकप्रिय हैं.2013 तक इस सीट पर बीजेपी को मजबूती दी है.लेकिन 2018 में पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया था. इस सीट पर वर्तमान में बृहस्पति सिंह कांग्रेस विधायक हैं.
क्या है हाईप्रोफाइल सीटों का गणित ? :बीजेपी ने हाईप्रोफाइल सीटों पर भी अपनी पहली सूची में फोकस किया है. पिछली बार की तरह देरी ना करते हुए उन सीटों पर पहले उम्मीदवारों की घोषणा की है जहां कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं.ताकि पार्टी के उम्मीदवारों को तैयारी करने का भरपूर समय मिल सके.पाटन के बाद खरसिया,कोरबा, कांकेर, बस्तर,मरवाही और खैरागढ़ जैसी सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवार उतारे हैं.
खरसिया-इस सीट पर कांग्रेस के उमेश पटेल विधायक है.जिन्हें खेल मंत्री का दर्जा कांग्रेस सरकार में मिला है. इस सीट से इस बार बीजेपी ने महेश साहू को उतारा है. सभी को उम्मीद थी कि एक बार फिर इस सीट पर बीजेपी महामंत्री ओपी चौधरी को टिकट दिया जाएगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पार्टी ने प्रत्याशी बदलकर चुनावी रणनीति में बदलाव किया है. आपको बता दें कि इस सीट पर भले ही उमेश पटेल ने जीत हासिल की हो लेकिन पिछली बार ओपी चौधरी को 94 हजार मत मिले थे.
कोरबा-इस सीट पर कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल की मजबूत पकड़ मानी जाती है. 2018 में जय सिंह अग्रवाल ने विकास महतो को हराया था.लेकिन इस बार बीजेपी ने लखनलाल देवांगन को टिकट दिया है.जो कटघोरा से विधायक रह चुके हैं.पिछले चुनाव में भी कटघोरा से लखनलाल देवांगन को टिकट मिला था.लेकिन वो चुनाव नहीं जीत सके थे.इस बार उनकी सीट बदली गई है. लखनलाल देवांगन सौम्य स्वाभाव के नेता माने जाते हैं.
कांकेर-कांकेर विधानसभा में कांग्रेस के शिशुपाल सोरी विधायक हैं. 2013 में आईएएस की नौकरी छोड़कर शिशुपाल ने कांग्रेस ज्वाइन की थी. 2014 में कांग्रेस से कांकेर लोकसभा के लिए टिकट मांगी,लेकिन नहीं मिली.2018 में पार्टी ने शिशुपाल को उम्मीदवार बनाया और उन्हें जीत मिली.इस सीट पर शिशुपाल ने बीजेपी के हीरा मरकाम को हराया था.लेकिन अबकी बार शिशुपाल के सामने आशाराम नेताम है.
बस्तर-बस्तर में कांग्रेस के लखेश्वर बघेल मौजूदा विधायक हैं. जिन्होंने साल 2018 में बीजेपी के डॉक्टर सुभाऊ कश्यप को चुनाव में पटखनी दी थी . इस बार बीजेपी ने मनीराम कश्यप को टिकट दिया है. मनीराम भी अपने समाज के लोकप्रिय नेता है. बीजेपी में जमीनी स्तर से जुड़कर लंबे समय से काम कर रहे हैं. जिसका फायदा उन्हें मिला है.
मरवाही :मरवाही विधानसभा जोगी परिवार का गढ़ मानी जाती थी.लेकिन इस मिथक को अजीत जोगी के निधन के बाद कांग्रेस ने तोड़ा. मौजूदा समय में यहां से केके ध्रुव विधायक हैं. बीजेपी ने आगामी चुनाव के लिए प्रणव कुमार मरपच्ची को टिकट दिया है. प्रवीण कुमार युवा नेता हैं.विवादों में ना रहकर प्रवीण ने लगातार पार्टी का विपरित परिस्थितियों में साथ दिया है.
खैरागढ़- खैरागढ़ विधानसभा 2018 में जोगी कांग्रेस के कब्जे में थी.लेकिन देवव्रत सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने ये सीट जीती.इस सीट पर बीजेपी ने दो बार कोमल जंघेल को मौका दिया.लेकिन कोमल जंघेल 2018 और उपचुनाव में जीत हासिल नहीं कर सके.इस बार बीजेपी ने खैरागढ़ से विक्रांत सिंह को टिकट दिया है.जो जिला पंचायत उपाध्यक्ष हैं.