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Agra Fort : आगरा किले में गूंजी शिवाजी की शौर्यगाथा, जय शिवाजी और जय महाराष्ट्र के गूंजे उद्घोष

आगरा किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 393वीं जयंती समारोह धूमधाम से मनाया गया. समारोह में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. इस दौरान कई कलाकारों ने अपनी प्रदर्शन किया.

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Published : Feb 19, 2023, 10:50 PM IST

Updated : Feb 20, 2023, 10:01 AM IST

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छत्रपति शिवाजी जी की जयंती पर आगरा किले में कार्यक्रम

आगराःआगरा किले के दीवान-ए-आम में रविवार देर तक छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा गूंजी. महाराष्ट्र सरकार और अजिंक्य देवगिरी प्रतिष्ठान ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से आगरा किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की 393वीं जयंती समारोह की अनुमति ली थी. समारोह में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. आगरा किले में पहली बार छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का समारोह हुआ है.

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से महिला, पुरुष, युवा और बुजुर्ग पहुंचे हैं. पास वाले सभी आगरा किला के दीवान-ए-आम में आयोजित समारोह में शामिल हैं. बिना पास वाले लोगों के लिए आगरा किले के सामने रामलीला मैदान में एलईडी लगाकर दिखाया जा रहा है. सीएम योगी कार्यक्रम में नहीं आए. उन्होंने वर्चुअल सहभागिता की और जयंती समारोह को लेकर सभी को बधाई दी.

अगले साल भी यहां मनाएंगे जयंती
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि पार्टी को धनुष-तीर चुनाव शिवाजी महाराज के आशीर्वाद से मिला है. सत्य की जीत हुई है. उन्होंने जयंती समारोह में कहा कि 'आगरा किला ऐतिहासिक है, जहां शिवाजी को झुकाने प्रयास किया गया, लेकिन शिवाजी महाराज अपने स्वराज में सकुशल पहुंचे. मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में नहीं शिवाजी महाराज के एक सिपाही के रूप में आया हूं. शिवाजी महाराज ने स्थापत्य, इंजीनियरिंग, जल सेना सभी क्षेत्रों में काम किया था.

महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि आजादी के इतने सालों के बाद पहली बार यहां शिवाजी की जयंती का आयोजन हुआ. महाराष्ट्र के लोगों में बहुत खुशी है इस कार्यक्रम के लिए, आगरा की जनता का आभार, शिवाजी महाराज सबसे अलग. क्योंकि, हिंदू राज्य की स्थापना के बारे में सोचा और कुतुबशाही और मुगलशाही सबसे लड़े. उन्होंने कहा कि अगले साल भी यहीं पर छत्रपति महाराज की जयंती समारोह मनाएंगे.

बता दें कि, पुरंदर की संधि के बाद औरंगजेब के संदेश और राजा जयसिंह की सलाह पर छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी राजधानी से आगरा 11 मई 1666 को आलमगीर औरंगजेब से मिलने आए थे. औरंगजेब और शिवाजी की मुलाकात 12 मई 1666 में दीवान-ए-खास में हुई थी, जिसमें औरंगजेब से उचित सम्मान नहीं मिलने पर छत्रपति शिवाजी महाराज गुस्से से तमतमा गए. उन्होंने औरंगजेब पर विश्वासघात का आरोप लगाया. इसके बाद औरंगजेब ने उन्हें कैद करने का हुक्म दिया.

ये लोग रहे मौजूद
छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती समारोह का शुभारंम केंद्रीय राज्य मंत्री पंचायती राज कपिल मोरेश्वर पाटिल, महाराष्ट्र के उद्यान मंत्री श्री सांदीपन भूमरे, केंद्रीय मंत्री राव साहिब पाटिल, केंद्रीय मंत्री व सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने किया. मुख्य आयोजक देवगिरि प्रतिष्ठान व सहसंयोजक महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधियों ने सभी अतिथियों का माल्यार्पण व साफा बांध कर स्वागत किया. इसके बाद 15 कलाकारों की टीम ने पवाड़ा लोक गायन की प्रस्तुति दी.

जय जय महाराष्ट्र माझा का गायन किया गया
शिवाजी महाराज के युद्ध कौशल के यशोगान तथा स्तुति की गई. मराठी भाषा में लोरी का गायन किया गया, जिसमें बचपन के छत्रपति शिवाजी महाराज व माता जीजाबाई के स्वरूपों का जीवंत दृश्य उपस्थित हो गया. इसके बाद महाराष्ट्र गीत गाया गया, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने आज ही इसे राज्य के आधिकारिक गीत को मान्यता देने की घोषणा की 'जय जय महाराष्ट्र माझा' का गायन किया, जिसको उपस्थिति लोगों ने खड़े होकर सम्मान सहित सुना.

रेत से उकेरी शिवगाथा
समारोह में इंडिया गॉट टैलेंट से उभरे रेत कला के कलाकार सर्वम पटेल ने रेत कला का शानदार प्रदर्शन किया. सर्वम पटेल ने भारत माता के मानचित्र को रेत पर उकेर कर उसके अंदर छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को बनाया. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के हिंदवी स्वराज की स्थापना के विभिन्न सोपानों व घटनाओं को रेत पर उकेर कर उपस्थित लोगों को रोमांचित कर दिया.

कार्यक्रम में महेन्द्र बसंत राव महाडे द्वारा लिखित नाटक जिसमें आमेर के मिर्जा राजा जयसिंह, मुगल सम्राट औरंगजेब, पुरन्दर की संधि, शिवाजी का आगरा आना, मुगलों द्वारा उन्हें कैद किया जाना, छत्रपति शिवाजी अपनी चतुराई व सूझबूझ से मुगलों की कैद से निकल कर अपने मराठा राज्य में पहुंचे. इस घटना का मंचन लाइट एंड साउंड के साथ किया गया. नाटक के मंचन में संवाद,वेशभूषा, और कलाकारों ने अपनी कला से उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर मध्यकालीन दौर में पहुंचा दिया.

Last Updated : Feb 20, 2023, 10:01 AM IST

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