नई दिल्ली : देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल व बिहार व झारखंड समेत कई राज्यों में इस बड़े आयोजन के रुप में मनाया जाता है. दरअसल कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की खास परंपरा है, जिसके चलते करोड़ों लोगों की आस्था छठ पर्व हर साल धूमधाम व पवित्रता के साथ मनाया जाता है. इसे कार्तिक शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को खास तौर पर मनाया जाता है, जिसमें अस्ताचल और उदयाचल भगवान भाष्कर की खासतौर पर पूजा की जाती है. बड़े से विधि विधान व कठोर नियमों के पालन के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार 28 अक्टूबर 2022 से 31 अक्टूबर 2022 के बीच मनाया जाएगा.
छठ मुख्य रूप से चार दिवसीय पर्व के रुप में जाना जाता है. नहाय खाय से शुरू होकर यह पर्व उदयाचल भगवान भाष्कर की पूजा और अर्घ्य के साथ संपन्न होगा. इस महापर्व के तीसरे दिन की शाम को नदियों व तालाबों के किनारे डूबते हुए सूर्य को और चौथे दिन के सुबह उदयाचल भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ पूजा का समापन हो जाता है.
आज यह छठ पूजा भले ही मुख्य रूप से बिहार और झारखण्ड से हुई थी, लेकिन अब यह देश-विदेश तक फैल चुकी है. दरअसल अंग देश के महाराज कर्ण सूर्यदेव के उपासक थे, ऐसे में सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव परंपरा के रूप में इस इलाके पर दिखता है.
छठ पूजा की परम्परा और उसके महत्त्व का प्रतिपादन करने वाली अनेक पौराणिक और लोक कथाएं और किस्से चर्चा में हैं, जिसमें इस लोक आस्था के पर्व को मनाए जाने की जानकारी व कथा मिलती है.
रामायण काल में छठ पूजा
एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की थी. फिर सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था.