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महिमा छठी माई केः नहाय खाय से शुरू होता है महापर्व छठ, देखिए पहले दिन का विधान

छठ महापर्व सबसे कठिन और पवित्र पर्व माना जाता है फिर भी इसमें किसी पंडित-पुजारी की जरूरत नहीं पड़ती. इसकी विधि को महिलाएं और पुरुष बड़ी आसानी से समझ कर महापर्व की शुरुआत कर सकते हैं.

नहाय खाय से शुरू होता है महापर्व छठ
नहाय खाय से शुरू होता है महापर्व छठ

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Published : Nov 17, 2020, 2:16 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 7:13 AM IST

रांची/पटनाः छठ व्रत करने वाली महिलाओं को परवैतिन कहते हैं. छठ का पहला दिन कार्तिक महीने के शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय से शुरू होता है. नहाय खाय का मतलब सिर्फ नहाकर खाने से नहीं है. इसका अर्थ है उपासना से पहले मन और शरीर की पूरी शुद्धि. परवैतिन को सबसे पहले कर्मणा- मनसा- वाचा यानी कर्म से, मन से और वचन से अपने आप को पवित्र करना पड़ता है.

इस दिन घर की साफ-सफाई के बाद अहले सुबह परवैतिन गंगा जी, कुएं या किसी जलाशय में जाकर स्नान करती हैं. मन ही मन छठ व्रत का संकल्प लेती हैं. इसके बाद साफ-सुथरे चूल्हे पर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी घी और सेंधा नमक डालकर बनाई जाती है. इसमें लाल मिर्च और लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है. आम तौर पर ये खाना पीतल, कांसे या मिटटी के बर्तन में बनाते हैं. आम की लकड़ी जलाकर मिट्टी के चूल्हे पर भोजन बनाने को शुद्ध माना जाता है, इसके लिए पहले से ही मिट्टी के चूल्हे तैयार किए जाते हैं. हालांकि अब लोग गैस चूल्हे का भी उपयोग करने लगे हैं. खाना पकाने के बाद भगवान को भोग लगाकर इसे सबसे पहले परवैतिन खाती हैं. इसके बाद परिवार के दूसरे सदस्य खाना खाते हैं.

देखिए नहाय खाय की विधि

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ध्यान रखने योग्य बातें

नहाय खाय के दिन परवैतिन सिर्फ एक वक्त खाना खाती हैं. इसके बाद पर्व की दूसरी तैयारियां शुरू हो जाती हैं. परवैतिनों के लिए बाजार भी सजधज कर तैयार रहता है. छठ में बांस की टोकरी, सूप, गेहूं का ठेकुआ, चावल का लड्डू, गन्ना, केला, नारियल, घड़ा नींबू, सिंघाड़ा, मौसमी फल और दूध अनिवार्य रूप से उपयोग होता है. इसके साथ ही पान-सुपारी, फूल, दीये आदि की भी खरीदारी की जाती है.

इसके अगले दिन की पूजा को खरना कहते हैं. ये पूजा बहुत खास होती है. खरना में आखिर क्या खास होता है और इसका विधान क्या है, ये हम महिमा छठी माई के अगले हिस्से में बताएंगे. जय छठी मइया.

Last Updated : Nov 18, 2020, 7:13 AM IST

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