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बड़ा झटका : 'कोविशील्ड' के साइड इफेक्ट का दावा, मांगा ₹5 करोड़ मुआवजा

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Published : Nov 29, 2020, 7:53 PM IST

पूरी दुनिया कोविड वैक्सीन का इंतजार कर रही है. ऐसे में वैक्सीन को लेकर चेन्नई से एक ऐसी खबर आई है, जहां वैक्सीन (कोविशील्ड) के परीक्षण में शामिल शख्स ने पांच करोड़ मुआवजे की मांग की है, जिसके बाद इस मामले की जांच डीसीजीआई कर रही है. जानें क्या है पूरा मामला...

वैक्सीन परीक्षण में शामिल शख्स ने मांगा पांच करोड़ का मुआवजा
वैक्सीन परीक्षण में शामिल शख्स ने मांगा पांच करोड़ का मुआवजा

बेंगलुरु :कोविड वैक्सीन के परीक्षण में शामिल एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने दावा किया है कि कोविशील्ड (वैक्सीन) से उसके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है. उन्होंने वैक्सीन से गंभीर लक्षणों का दावा करते हुए मेडिकल रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील के माध्यम से नोटिस भेजकर 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. मामले के सामने आने के बाद डीसीजीआई इस मामले की पड़ताल में जुट गई है.

प्रतिभागी ने पांच करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति और साथ ही टीके के परीक्षण, उत्पादन और वितरण पर तत्काल रोक लगाने की मांग भी की है.

दरअसल, गंभीर न्यूरोलॉजी संबंधी और मनोवैज्ञानिक लक्षण उभरने का दावा करते हुए वैक्सीन परीक्षण में शामिल कारोबारी ने यह मांग की है.

डीसीजीआई कर रही पड़ताल
प्रतिभागी को प्रतिकूल प्रभाव होने के दावों के बाद भारत के औषध महानियंत्रक (डीसीजीआई) और संस्थान की आचार समिति इस बात की पड़ताल कर रही है कि क्या इसका संबंध संबंधित व्यक्ति को दी गई टीके की खुराक से है.

आईसीएमआर के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समिरन पांडा ने कहा कि संस्थान की आचार समिति और डीसीजीआई दोनों इस बात की जांच कर रहे हैं कि जिस उत्पाद पर अध्ययन चल रहा था, यानी कोरोना वायरस की रोकथाम वाले संभावित टीके और प्रतिकूल प्रभावों के बीच क्या कोई कड़ी है.

प्रतिभागी के वकील ने भेजा लीगल नोटिस
इससे पहले शख्स के वकील एनजीआर प्रसाद ने बताया कि हमारे क्लाइंट को जब परीक्षण के दौरान वैक्सीन की खुराक दी गई, तो उन्होंने गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य जटिलताओं का अनुभव किया. हमने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक, भारत के औषध महानियंत्रक, केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन, एस्ट्राजेनेका यूके के सीईओ, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के टीके के परीक्षण के मुख्य अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड तथा श्री रामचंद्र हायर एजुकेशन एंड रिसर्च के कुलपति को कानूनी नोटिस भेजा है.

प्रसाद ने कहा कि नोटिस 21 नवंबर को जारी किया गया था और अब तक हमें किसी भी पक्ष से कोई जवाब नहीं मिला है.

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नोटिस के अनुसार, 40 वर्षीय शख्स शादीशुदा है और उनके दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र लगभग 12 और 7 साल है.

रामचंद्र इंस्टीट्यूट द्वारा स्वयंसेवक को सूचित किया गया कि भारतीय वयस्कों के स्वास्थ्य में को विडशील्ड (कोविड-19 वैक्सीन) की सुरक्षा और प्रतिरक्षा को निर्धारित करने के लिए यह एक रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड स्टडी थी.

उसे एक अक्टूबर को चेन्नई के श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च में यह खुराक दी गयी थी जो परीक्षण स्थलों में शामिल है.

एसआईआई ने ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 के टीके के विकास के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी की है.

इससे पहले परीक्षण पर लगी थी रोक
इससे पहले फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अध्ययन में शामिल एक प्रतिभागी में अज्ञात बीमारी का पता चलने के बाद अन्य देशों में क्लीनिकल परीक्षण पर रोक लगा दी थी और इसी के मद्देनजर डीसीजीआई ने 11 सितंबर को एसआईआई को भी ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 रोधी टीके के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण में किसी नये प्रतिभागी को अगले आदेश तक शामिल नहीं करने को कहा था.

हालांकि, एसआईआई को परीक्षण पुन: शुरू करने के लिए 15 सितंबर को मंजूरी दे दी गई थी.

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