भोपाल।शुक्रवार 16 सितंबर को संशोधित यात्री modified passenger बी 747 जंबो जेट नामीबिया के विंडहोक स्थित होसे कुटाको अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरेगा. इस जंबो जेट में आठ नामीबियाई चीते होंगे. इनमें पांच मादा और तीन नर चीते हैं. सभी चीते 4 से 6 साल के हैं. इन चीतों को ऐतिहासिक अंतरमहाद्वीपीय मिशन historic transcontinental mission के तहत लाया जा रहा है और ये विमान रातभर उड़ान भरेगा. शनिवार 17 सितंबर की सुबह ये विमान जयपुर पहुंचेगा. यहां इन चीतों को 45 मिनट के भीतर ही हेलिकॉप्टर में शिफ्ट करने के बाद मध्यप्रदेश के कुनो पालपुर नेशनल पार्क के लिए रवाना कर दिया जाएगा. यहां अफ्रीकन चीतों का स्वागत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा किया जाएगा.
विमान को विेशेेष रूप से मॉडीफाई किया है :अफ्रीकन चीतों को लाने वाले बोइंग 747 जंबो जेट विमान के मुख्य केबिन में पिंजरों को सुरक्षित करने की अनुमति देने के लिए मॉडीफाई किया गया है. इसमें उड़ान के दौरान पशु चिकित्सकों को इन चीतों तक पहुंचने की अनुमति दी गई है. ये विमान एक अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज जेट है, जो 16 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है. ये विमान नामीबिया से सीधे भारत के लिए बिना ईंधन भरे उड़ान भर सकता है. विमान को एक बड़ी विमान ब्रोकरेज कंपनी एक्शन एविएशन द्वारा खरीदा गया था. उड़ान के लिए व्यक्तिगत रूप से कैप्टन हामिश हार्डिंग, एक्शन एविएशन के अध्यक्ष, डॉ लॉरी मार्कर के एक मित्र और द एक्सप्लोरर्स क्लब के एक साथी सदस्य द्वारा मैनेज किया गया. एक्सप्लोरर्स क्लब ने इस महत्वपूर्ण पशु संरक्षण मिशन को "ध्वजांकित अभियान" के रूप में नामित किया है. डॉ लॉरी मार्कर और हामिश हार्डिंग चीतों की पहली उड़ान पर एक्सप्लोरर्स क्लब फ्लैग नंबर 118 लेकर चलेंगे. विमान का मालिकाना हक संयुक्त अरब अमीरात के एक्वीलाइन इंटरनेशनल कार्पोरेशन के पास है, जो अपने विमान बेड़े का विश्वव्यापी चार्टर संचालन करते हैं.
भारत आ रहे अफ्रीकन चीतों का परिचय :
मेल चीता का ब्यौरा :
1. चीता (Male) उम्र 5.5 वर्ष , 2. चीता (Male) उम्र 5.5 वर्ष
ये दो मेल है और आपस में भाई हैं, जो जुलाई 2021 से नामीबिया के ओटजीवारोंगो के पास सीसीएफ के 58,000 हेक्टेयर के निजी रिजर्व में जंगली रह रहे हैं. ये नर शावक जीवनभर साथ रहते हैं और मिलकर शिकार करते हैं.
3.चीता (Male) उम्र 4.5 वर्ष : मार्च 2018 में एरिंडी प्राइवेट गेम रिजर्व में पैदा हुआ ये मेल चीता है. इसकी मां का जन्म भी एरिनिडी रिजर्व में हुआ था.
फीमेल चीतों का ब्यौरा :
1.चीता फीमेल उम्र 2 वर्ष : दक्षिण-पूर्वी नामीबिया में गोबाबिस शहर के पास एक जलकुंड में अपने भाई के साथ मिली. दोनों बहुत दुबले-पतले और कुपोषित हैं. सीसीएफ का मानना है कि उनकी मां की कुछ हफ्ते पहले मृत्यु हो गई थी. यह चीता सितंबर 2020 से सीसीएफ सेंटर में रह रहा है.
2.चीता फीमेल उम्र 3-4 वर्ष : जुलाई 2022 में CCF के पड़ोसी फार्म पर एक जाल पिंजरे में कैद मादा जंगली मादा, जिसका स्वामित्व नामीबिया के एक प्रमुख व्यवसायी के पास है. उसे सीसीएफ की संपत्ति पर छोड़ दिया गया था, लेकिन दो महीने बाद फिर से उसी पड़ोसी खेत में पकड़ा गया.
3.चीता फीमेल 2.5 वर्ष
4. फीमेल चीता महिला 5 वर्ष : कुछ खेत श्रमिकों द्वारा 2017 के अंत में नामीबिया के गोबाबिस के पास एक खेत में मादा चीता पाई गई. वह दुबली और कुपोषित थी. कार्यकर्ताओं ने उसे पाला. जनवरी 2018 में, CCF स्टाफ ने जानवर के बारे में जाना और उसे CCF केंद्र ले ग.।
भारत आ रहे अफ्रीकन चीतों का परिचय भारत आ रहे अफ्रीकन चीतों का परिचय भारत आ रहे अफ्रीकन चीतों का परिचय भारत आ रहे अफ्रीकन चीतों का परिचय 5.फीमेल चीता - उम्र 5 वर्ष : सीसीएफ स्टाफ ने इस चीते को फरवरी 2019 में कामंजाब गांव के पास नामीबिया के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित एक खेत से उठाया. आने के बाद से, वह 4 फीमेल चीतों की सबसे अच्छी दोस्त बन गई.
70 साल का इंतजार खत्म :भारत में 1952 में प्रजातियों को विलुप्त घोषित किया गया था. भारत ने देश के भीतर कई स्थानों पर चीतों को वापस करने की प्रतिबद्धता जताई है. पहला मध्य प्रदेश में कुनो राष्ट्रीय उद्यान है. वहां, इन चीतों के लिए सुविधाएं विकसित की गई हैं. कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है और बड़े शिकारी दूर चले गए हैं. प्रोजेक्ट चीता को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2020 के जनवरी में भारत में प्रजातियों को फिर से पेश करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम के रूप में अनुमोदित किया गया था. इस अवधारणा को पहली बार 2009 में भारतीय संरक्षणवादियों द्वारा चीता संरक्षण कोष (सीसीएफ) डीआरएस लॉरी मार्कर, ब्रूस ब्रेवर और स्टीफन जे. भारत सरकार के निमंत्रण पर, डॉ मार्कर पिछले 12 वर्षों में कई बार भारत लौट आए हैं ताकि साइट मूल्यांकन और परिचय के लिए योजनाओं का मसौदा तैयार किया जा सके. 20 जुलाई को नामीबिया गणराज्य और भारत ने चीता के संरक्षण के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. समझौता ज्ञापन में परियोजना चीता में नामीबिया की भागीदारी शामिल है.
चीतों को शिकार के लिए मिलेगा चीतल:कूनो नशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा कहते हैं कि कूनो नेशनल पार्क में नरसिंहगढ़ से 177 और पेंच से 66 चीतलों को छोड़ा गया है. चीते इनका शिकार कर सकेंगे. चीते झुंड में भी शिकार करते हैं, इसलिए जो चीतल बड़े हैं, उनका वह एक साथ मिलकर और जो छोटे हैं उनका अकेले शिकार कर सकेंगे. हालांकि साउथ अफ्रीकन चीता हमेशा गजेल (चिंकारा) का ही शिकार करते हैं, इसलिए वे यहां पहली बार चीतल को देखेंगे. सवाल उठ रहा है कि क्या दक्षिण अफ्रीका के चीतों को मध्यप्रदेश का वातावरण रास आएगा, क्योंकि दोनों ही देशों के वातावरण और जंगल में अंतर है. दूसरी तरफ वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट मानते हैं कि चीते जल्द ही यहां के वातावरण में ढल जाएंगे. यहां का वातावरण नामीबिया के वातातरण से बेहतर है.
चारों ओर है खुशी का माहौलःराष्ट्रीय कूनों पालपुर अभयारण्य में आने वाले चीतों को लेकर इलाके के लोग बेहद खुश हैं. कल तक जिस इलाके में कोई जाना तक पसंद नहीं करता था. चीते आने से पहले उस इलाके में बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री तक आने लगे हैं. चीतों की वजह से ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दीदार श्योपुर सहित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कराहल के लोग कर सकेंगे. क्षेत्र की तरक्की होने लगी है. टूटी फूटी सड़कें चमक उठी हैं. इसके अलावा उनके क्षेत्र को एक बड़ी पहचान मिलने जा रही है. जिसे लेकर लोग बेहद खुश हैं. इलाके के युवा भी खासे उत्साहित हैं क्योंकि, उन्हें जल्द ही होटल रिसोर्ट में नौकरी मिलने लगेंगी. वह अपने टैलेंट पर टूरिस्ट का गाइड बन कर भी अच्छी खासी कमाई कर सकेंगे. क्षेत्र के युवाओं और बुजुर्ग ग्रामीणों इस परियोजना को लेकर बेहद क्षेत्र में खुशहाली आयोगी.कूनों वन मंडल के अधिकारी भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि, कूनों चीतों का वेलकम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.