नई दिल्ली : क्या आपको पता है कि चीता महज तीन सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है जो अधिकतर कारों से कहीं तेज है लेकिन वह आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता. यह रफ्तार कितनी ज्यादा है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि दुनिया के सबसे तेज धावक और ओलंपिक चैम्पियन उसेन बोल्ट का 100 मीटर की स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड 9.89 सेकंड है.
गौरतलब है कि भारत में सात दशक बाद चीतों ने फिर से दस्तक दी है और विशेष विमान से नामीबिया से लाए गए आठ चीते अब मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान की शोभा बढ़ाएंगे. दिल्ली के वन्यजीव पत्रकार और लेखक कबीर संजय का कहना है कि चीते को उसकी शानदार गति के लिए जाना जाता है लेकिन उसमें इस गति को ज्यादा देर तक बरकरार रखने की ताकत नहीं होती है. उन्होंने कहा, "चीता तेज धावक है, न कि मैराथन दौड़ने वाला. चूंकि वह लंबे समय तक अपनी गति बरकरार नहीं रख सकता तो उसे 30 सेकंड या उससे कम समय में शिकार को पकड़ना होता है. अगर वह तेजी से शिकार नहीं कर पाता है तो वह हार मान लेता है और इस तरह उसके शिकार की सफलता दर 40 से 50 फीसदी है."
कबीर ने कहा कि अगर चीता शिकार कर भी लेता है तो वह आम तौर पर थक जाता है और उसे कुछ समय तक आराम करना होता है. यही वजह है कि तेंदुए, लकड़बग्घे और जंगली कुत्ते जैसे मांसाहारी जीव अक्सर उसके शिकार को लूट लेते हैं. उन्होंने अपनी किताब 'चीता : भारतीय जंगलों का गुम शहजादा' में कहा है कि यहां तक कि गिद्ध भी उनके शिकार को छीन सकते हैं और चीते के पास ऐसी श्रेणी के अन्य जानवरों की तुलना में कम ताकत होती है.
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि चीते दुबले, लचीले शरीर वाले होते हैं और उनकी रीढ़ की हड्डी नरम होती है जो किसी गुच्छे या कुंडली की तरह फैल सकती है. उन्होंने कहा कि उसका सिर छोटा होता है जो हवा के प्रतिरोध को कम करता है और लंबी, पतली टांगें होती है जो उन्हें बड़े-बड़े कदम बढ़ाने में मदद करती हैं. नामीबिया स्थित गैर लाभकारी 'चीता कंजर्वेशन फंड' (सीसीएफ) ने कहा कि चीते के पैर के तलवे सख्त और अन्य मांसाहारी जंतुओं की तुलना में कम गोल होते हैं. इसने कहा कि उनके पैर के तलवे किसी टायर की तरह काम करते हैं जो उन्हें तेज, तीखे मोड़ों पर घर्षण प्रदान करते हैं. यह संगठन देश में चीतों को फिर से लाने के लिए भारत सरकार के साथ समन्वय कर रहा है.