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Cheetah Death in Kuno: मादा चीता से संघर्ष में मिली चोट से नहीं उबर पाया तेजस, कमजोरी के चलते मौत

चीता प्रोजेक्ट के तहत लाए गए एक और नर चीता तेजस की मौत हो गई है. तेजस को सुबह घायल अवस्था में पाया गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चीते के कमजोर होने और झड़प में घायल होने के बाद चोट से नहीं उबर पाना कारण बताया गया है.

Cheetah Post mortem report
कूनो में चीता तेजस की मौत

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Published : Jul 13, 2023, 9:15 AM IST

Updated : Jul 13, 2023, 11:35 AM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नर चीता तेजस की मौत के एक दिन बाद, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि चीता आंतरिक रूप से कमजोर था और मादा चीता के साथ हिंसक लड़ाई के बाद "दर्दनाक सदमे" से उबरने में असमर्थ था. एक वन अधिकारी ने बुधवार को कहा कि तेजस, कूनो नेशनल पार्क में चार महीने में मरने वाला सातवां चीता था, इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था और वह लगभग साढ़े पांच साल का था. कूनों में अब तक 3 शावकों समेत 7 चीतों की मौत हो गई है.

चीता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट: अधिकारी ने कहा कि चीते की मंगलवार को पार्क में मौत हो गई. चीते का वजन लगभग 43 किलोग्राम था, जो सामान्य नर चीते के वजन से कम है और उसके शरीर के आंतरिक अंग ठीक से काम नहीं कर रहे थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में उनके स्वस्थ होने की संभावना काफी कम है. इसमें संभवतः आंतरिक रूप से कमजोर होने के कारण तेजस मादा चीता के साथ हिंसक झड़प के बाद सदमे से उबर नहीं पाया. रिपोर्ट के अनुसार ''प्रथम दृष्टया, मौत का कारण दर्दनाक सदमा है. तेजस के आंतरिक शरीर के हिस्सों के नमूने आगे की जांच के लिए जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ को भेजे गए थे.

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अब तक 7 चीतों की हो चुकी है मौत: तेजस की मौत केंद्र सरकार के चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम के लिए एक और झटका है, जिसे पिछले साल सितंबर में बड़े धूमधाम से चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत इन चीतों को कूनो के बाड़े में छोड़ा गया था. साउथ अफ्रीका से लाए गए अब तक 7 चीतों की मौत हो चुकी है. इसमें 3 शावक और चार बड़े चीते शामिल हैं. इसके पहले 23 मई को मादा चीता ज्वाला के दो शावकों की मौत हुई थी. चीतों की लगातार मौतों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. चीतों की मौत को लेकर पूर्व में साउथ अफ्रीका वाइल्डलाइफ स्पेशलिस्ट विंसेट वार डेर मर्व भी चिंता जता चुके हैं. उन्होंने चीतों के निवास स्थानों पर बाड़ लगाने का सुझाव दिया था और कहा था कि बिना बाड़ वाले अभ्यारण्य में चीतों को बनाए जाने की कोशिशें में सफलता मिलना बहुत मुश्किल होगा.

Input-PTI

Last Updated : Jul 13, 2023, 11:35 AM IST

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