नई दिल्ली : एआईसीसी प्रतिनिधियों के चयन में सामाजिक प्रतिनिधित्व को जगह मिलने के साथ सबसे पुरानी पार्टी में परिवर्तन शुरू हो गया है, लेकिन केंद्रीय और राज्य स्तर की टीमों में मानदंडों को लागू करने की चुनौती कांग्रेस में बनी हुई है. पार्टी ने हाल ही में 1,338 एआईसीसी प्रतिनिधियों और 487 सहयोजित सदस्यों की एक सूची को अंतिम रूप दिया, जिन्हें संबंधित राज्य इकाइयों ने 9,000 पीसीसी प्रतिनिधियों में से चुना था. मानदंडों के अनुसार प्रत्येक 8 पीसीसी सदस्यों के लिए एआईसीसी के एक प्रतिनिधि का चयन किया गया.
एआईसीसी के प्रतिनिधि 24 से 26 फरवरी तक रायपुर में होने वाले पार्टी के 85वें पूर्ण अधिवेशन में नए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के चुनाव का समर्थन करेंगे. ये एक तरह से मई 2022 में कांग्रेस द्वारा 2024 के राष्ट्रीय चुनावों का रोडमैप तैयार करने के लिए आयोजित मंथन सत्र का एक बड़ा संस्करण है.
उदयपुर चिंतन शिविर के अंत में संगठन में कुछ दूरगामी परिवर्तनों को निर्धारित किया गया था जैसे 50 वर्ष से कम आयु के सभी पदाधिकारियों में 50 प्रतिशत का होना और विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं, अल्पसंख्यकों, ओबीसी और दलितों को प्रतिनिधित्व देना. भविष्य की चुनौतियों के लिए संगठन को तैयार करने के लिए पार्टी पैनल होने की बात भी थी. हाल ही में, AICC ने राज्य इकाइयों को AICC प्रतिनिधियों की सूची को अंतिम रूप देते समय उदयपुर घोषणा मानदंडों का पालन करने का निर्देश दिया था.
इसके मुताबिक एआईसीसी के कुल सदस्यों में से 704 सामान्य वर्ग, 228 अल्पसंख्यक, 381 ओबीसी, 192 एससी, 133 एसटी, 235 महिलाएं और 501 50 वर्ष से कम आयु के हैं.
एआईसीसी सचिव बीएम संदीप कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि एआईसीसी सदस्यों के चयन में उदयपुर घोषणा मानदंडों का पालन करने पर अधिक ध्यान दिया गया. विभिन्न सामाजिक समूहों के भीतर भी, व्यापक प्रतिनिधित्व के लिए विभिन्न उप-श्रेणियों के सदस्यों को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. यह पार्टी में परिवर्तन का एक संकेत है.' संदीप कुमार इस महाधिवेशन के समन्वयक भी हैं.