दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Chandrayaan- 3 : इसरो के पास नहीं थे शक्तिशाली रॉकेट, जानें, फिर चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचाने के लिए क्या लगाया जुगाड़ - चंद्र कक्षा

कोलकाता के पूर्व इसरो वैज्ञानिक ने समाचार एजेंसी को बताया कि हमारे रॉकेट शक्तिशाली नहीं होने के कारण प्रक्षेपण के लिए स्लिंग-शॉट तंत्र का उपयोग किया. पढ़ें पूरी खबर...

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Aug 6, 2023, 7:23 AM IST

कोलकाता : चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान अपने प्रक्षेपण के बाद से चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर चुका है. शनिवार वह सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में प्रवेश कर गया, पूर्व इसरो वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने कहा कि चंद्र मिशन देश के अंतरिक्ष अन्वेषण में नए अध्याय जोड़ेगा. कोलकाता में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मिश्रा ने कहा कि हमारे रॉकेट (प्रक्षेपण वाहन) बहुत शक्तिशाली नहीं हैं. एक बार जब रॉकेट पृथ्वी की कक्षा से निकल जाता है तो उन्हें आगे बढ़ने के लिए 11.2 किमी/सेकंड की रफ्तार की जरूरत होती है. चूंकि हमारे रॉकेट इस गति को हासिल नहीं कर सकते हैं इसलिए हमने स्लिंग-स्लॉट तंत्र का सहारा लिया.

तपन मिश्रा, पूर्व इसरो वैज्ञानिक.

स्टैनफोर्ड विवि की एक बेवसाइट scienceinthecity.stanford.edu के मुताबिक स्लिंगशॉट भौतिकी में किसी चीज को तेज गति से प्रक्षेपित करने के लिए संग्रहीत इलेस्टिक एनर्जी के उपयोग की तकनीक है. गुगेल स्लिंगशॉट तकनीक का सबसे सरल उदाहरण है. यहां गुलेल की रबर में जो इलेस्टिक एनर्जी है उसका इस्तेमाल किया जाता है. गुलेल का इस्तेमाल करते हुए प्रारंभ में गुलेल संचालक की मांसपेशियों की ऊर्जा रबर में ट्रांसफर होती है और फिर रबर की इलेस्टिक एनर्जी गुलेल के माध्यम से प्रक्षेप्य को अधिकतम गति से लक्ष्य की ओर दागती है.

scienceinthecity.stanford.edu के मुताबिक स्लिंगशॉट तकनीक में किसी प्रक्षेपक की इलेस्टिसिटी का अधिकतम इस्तेमाल प्रक्षेप्य को अधिकतम गति देता है. यह मूलत: न्यूटन के तीसरे नियम पर आधारित है. आधुनिक भौतिकी में इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले कम शक्तिशाली रॉकेट को अधिकतम गति देने में किया जाता है.

ये भी पढ़ें

बता दें कि चांद को एक्सप्लोर करने के लिए तैयार किया गया भारत का तीसरा मिशन चंद्रयान-3 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन पर सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. भारत को इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने वाला और चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग के लिए देश की क्षमता का प्रदर्शन करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

(एएनआई इनपुट)

ABOUT THE AUTHOR

...view details