दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Chandrayaan-3 moon landing : इसरो ने कहा- 'ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस' के लिए पूरी तरह से तैयार - Moon landing

इसरो (ISRO) ने कहा कि चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (LM) को चंद्रमा की सतह पर उतारने के लिए 'ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस' (ALS) शुरू करने को लेकर पूरी तरह तैयार है. पढ़िए पूरी खबर...

ISRO set to initiate automatic landing sequence
ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस' के लिए पूरी तरह से तैयार

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 23, 2023, 3:33 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को कहा कि वह अपने महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (LM) को बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतारने के वास्ते 'ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस' (ALS) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. लैंडर 'विक्रम' और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है.

इसरो ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, 'ऑटोमैटिक लैंडिंग सीक्वेंस (एएलएस) शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार. लैंडर मॉड्यूल (एलएम) के लगभग 17.44 बजे (भारतीय समयानुसार 5.44 बजे) निर्धारित बिंदु पर पहुंचने का इंतजार है.' अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, 'एएलएस कमांड प्राप्त होने के बाद एलएम तीव्र गति से उतरने के लिए थ्रॉटलेबल इंजन को सक्रिय करता है. मिशन संचालन टीम आदेशों के क्रमिक निष्पादन की पुष्टि करती रहेगी.'

सभी मापदंडों की जांच करने और लैंडिंग का निर्णय लेने के बाद, इसरो लैंडिंग के निर्धारित समय से कुछ घंटे पहले, बयालू में अपने भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) प्रतिष्ठान से एलएम पर आवश्यक कमांड अपलोड करेगा. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर 'पॉवर ब्रेकिंग फेज' में कदम रखता है और गति को धीरे-धीरे कम करके, चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने चार थ्रस्टर इंजन की 'रेट्रो फायरिंग' करके उनका इस्तेमाल करना शुरू कर देता है. उन्होंने बताया कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर 'क्रैश' न कर जाए.

अधिकारियों के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल होगा और बाकी दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे, जिसका उद्देश्य सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को 'रिवर्स थ्रस्ट' (सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की गति को धीमा किया जा सके) देना है. अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच करेगा कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर देगा.

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडर की गति को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक कम करने की प्रक्रिया और अंतरिक्ष यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में पुन: निर्देशित करने की क्षमता लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगी. अधिकारियों के मुताबिक, सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने एक साइड पैनल का उपयोग करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, जो रैंप के रूप में कार्य करेगा. उन्होंने बताया कि लैंडिंग के बाद लैंडर को उसमें मौजूद इंजनों के चंद्रमा की सतह के करीब सक्रिय होने के कारण धूल की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग 14 दिन के बराबर) का समय होगा. हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस तक सक्रिय रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है.

ये भी पढ़ें - लैंडर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बुधवार शाम चंद्रमा पर उतरेगा: ISRO Chairman

(पीटीआई-भाषा)

ABOUT THE AUTHOR

...view details