बेंगलुरु: चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान उतारकर अधिक शोध करने के लिए भारत की एक प्रमुख परियोजना है. इससे वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष विज्ञान का और विकास हो सकेगा. रक्षा और अंतरिक्ष विशेषज्ञ राघवेंद्र कुलकर्णी ने कहा कि न केवल हमारे देश के लोग बल्कि पूरी मानव जाति आज की लैंडिंग को लेकर उत्सुक और रोमांचित हैं. ईटीवी भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतरते हैं, तो इसरो का नाम अंतरिक्ष क्षेत्र में अमर हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि भारत भी सोवियत संघ, अमेरिका और चीन जैसे देशों के समकक्ष खड़ा हो जायेगा. रूस के लूना 25 मिशन और इसरो के चंद्रयान 3 के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. उस देश के अंतरिक्ष अन्वेषण में कई कारणों से देरी हुई है और अब यह महज एक संयोग है कि उन्होंने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक लैंडर उतारने की भी कोशिश की. हालांकि, भारत धीमा है, लेकिन वह समय-समय पर अंतरिक्ष अनुसंधान करता रहा है और शुरू से ही चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करने के लिए कई परियोजनाएं तैयार कर रहा है.
उन्होंने कहा कि आज शाम 6:04 बजे लैंडर को उतारने के पीछे उद्देश्य है कि वहां की सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सके. हालांकि उन्होंने कहा कि यदि अंतिम क्षणों में चांद पर मौसम में कोई बदलाव होता है और लैंडिंग वाली जगह पर कोई अन्य समस्या आती है तो समय में बदलाव किया जा सकता है.
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