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सीएम योगी के गढ़ में पहुंचे चंद्रशेखर, गोरखपुर सदर के समीकरण को समझें

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 काफी दिलचस्प होता जा रहा है. आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर रावण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. वह गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन क्या गोरखपुर सदर का सामाजिक समीकरण उनके पक्ष में है. इस सीट का क्या इतिहास रहा है और किन पार्टियों का अब तक कब्जा रहा है, एक नजर.

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Published : Jan 20, 2022, 6:46 PM IST

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योगी आदित्यनाथ, चंद्रशेखर रावण

गोरखपुर :यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की वोटिंग के चंद दिन शेष हैं. इस चुनावी समर में प्रदेश की राजनीति में हर दिन एक नई राजनीतिक उठा-पटक देखने को मिल रही है. 2022 के रण में सीएम योगी का गोरखपुर जिले की सदर विधानसभा सीट-322 से चुनाव लड़ना तय हो गया है. अब उनके खिलाफ चुनावी मैदान में आजाद समाज पार्टी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी उतरने जा रहे हैं. बीजेपी के गढ़ में उनकी राह आसान नहीं होगी, कई ऐसी चुनौतियां हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है.

हाल ही में आजाद समाज पार्टी ने 33 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की थी. चंद्रशेखर आजाद की समाजवादी पार्टी के गठबंधन की भी बात चल रही थी, लेकिन दोनों पार्टियों में सहमति नहीं बनी. अब चंद्रशेखर ने बीजेपी की परंपरागत सीट कही जाने वाली सदर विधानसभा सीट-322 पर खुद को उम्मीदवार घोषित किया है. चंद्रशेखर की इस घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चाएं तेज हो गईं हैं. गोरखपुर की सदर सीट पर हुए पिछले चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें, तो इस पर बीजेपी की मजबूत दावेदारी रही है.

विपरीत परिस्थितियों में सीएम योगी को मात देने की कोशिश

यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के रण में आजाद समाज पार्टी के चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की सीएम योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारे का तापमान बढ़ गया है. बीजेपी के गढ़ रहे सदर सीट पर सीएम योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने के विषय पर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. अगर इतिहास के पन्नों पर नजर डालें, तो सदर सीट पर वर्ष 1989 से 1997 तक बीजेपी का लगातार कब्जा रहा है. बीजेपी के अलावा इस सीट पर वर्ष 2002 के चुनाव में हिंदू महासभा के प्रत्याशी डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल जीतने में कामयाब हुए थे. बाद में डॉक्टर राधामोहन दास बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद वर्ष 2007, 2012 और 2017 की बात करें तो डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल ही इस सीट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में इन्होंने सपा-कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी राणा राहुल सिंह को पराजित किया था.

ऐसा है विधानसभा क्षेत्र

सदर सीट पर गोरखपुर शहर के चर्चित समाजसेवी और गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव 2 बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. बसपा प्रत्याशी अशोक श्रीवास्तव को अपनी जमानत तक गंवानी पड़ी थी.

मतदाताओं के आंकड़े पर एक नजर

सदर विधानसभा में मौजूदा समय में कुल 4,41,755 मतदाता हैं. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,38,632 और महिला मतदाताओं की संख्या 2,03,123 है. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां वोटरों की संख्या 4,28,086 थी.

सदर विधानसभा सीट के जातिगत आंकड़े

यह विधानसभा ब्राह्मण और कायस्थ जाति की बहुलता वाली मानी जाती है. इसके बाद पिछड़ा और मुस्लिम समाज के मतदाता ज्यादा है. ब्राह्मण और कायस्थ करीब-करीब 30-30 प्रतिशत हैं. जबकि मुस्लिम और पिछड़ा वोटर 14 प्रतिशत हैं. दलित और अन्य समाज कुल मिलाकर 12 प्रतिशत हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में यह सीट बेहद खास हो सकती है.

2017 में इस तरह रहे थे नतीजे

पिछले चुनाव के आंकड़े

गोरखपुर की सदर-322 सीट का इतिहास

गोरखपुर की इस सीट पर आजादी के बाद वर्ष 1951 में पहली बार चुनाव हुआ. इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(Indian National Congress) के प्रत्याशी इस्तीफा हुसैन यहां से पहले विधायक बने. इसके बाद वर्ष 1957 के चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी इस्तीफा हुसैन को जीत मिली. वर्ष 1962 में इस सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नियमतुल्लाह अंसारी निर्वाचित हुए.

1967 में भारतीय जनसंघ के यू प्रताप ने कांग्रेस के प्रत्याशी को मात दे दी, लेकिन 1969 में कांग्रेस के रामलाल भाई ने इस सीट पर परचम लहराया. 1974 में भारतीय जनसंघ के अवधेश कुमार यहां से विजयी हुए, 1977 में जनता पार्टी के अवधेश श्रीवास्तव को इस सीट से जीत मिली.

बाद में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री 1980 और 1985 तक इस सीट पर काबिज रहे. वर्ष 1989 से 1997 तक इस सीट पर बीजेपी का लगातार कब्जा रहा. इसके बाद वर्ष 2007, 2012 और 2017 की बात करें तो बीजेपी के डॉक्टर राधामोहन दास अग्रवाल ही इस सीट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं.

गोरखपुर विश्वविद्यालय

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