चंडीगढ़: बेटे के साथ मारपीट करने के मामले में चंडीगढ़ अदालत ने आरोपी पिता को बरी कर दिया है. बेटे की शिकायत के आधार पर पिता के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. आज पांच साल बाद इस मामले में चंडीगढ़ कोर्ट ने फैसला सुनाया है. अदालत की तरफ से कहा गया कि माता पिता द्वारा अपने बच्चों को फटकार और डांट के लिए जेजे अधिनियम की धारा 75 के तहत मुजरिम नहीं कहा जा सकता. कोई भी विवेकपूर्ण और देखभाल करने वाला पिता अपने बच्चे को भटकते हुए नहीं देखना चाहेगा.
चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) टीपीएस रंधावा ने कहा कि कोर्ट में जो सबूत और रिकॉर्ड पेश किए गए हैं. उनमें कोई ठोस सबूत नहीं है. अदालत ने कहा कि चूंकि नाबालिग बच्चा पढ़ाई में कमजोर था और वो पढ़ाई भी बीच में छोड़ देता था. इस तरह के व्यवहार को कोई भी पिता बर्दाश्त नहीं करेगा और ऐसी स्थिति में कुछ फटकारना स्वाभाविक है, लेकिन माता-पिता द्वारा इस तरह की फटकार और डांट को जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत क्रूरता नहीं कहा जा सकता.
कोर्ट ने कहा 'वास्तव में ये पिता का कर्तव्य है कि वो अपने बच्चे को सही राह दिखाए. इसके अलावा बच्चे को कथित रूप से पीटने के संबंध में कोई डॉक्टरी रिकॉर्ड भी पेश नहीं किया गया. जिससे ये पूरा मामला निष्प्रभावी हो जाता है, क्योंकि बच्चे की मां ने भी बच्चे द्वारा लगाए गए आरोपों का समर्थन नहीं किया. इसलिए सबूतों के आधार पर बच्चे के पिता को बरी किया गया है.'