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जनगणना 2021 : जानें कोरोना के बीच भारत के सामने क्या हैं चुनौतियां - 2021 की जनगणना

कोरोना महामारी की वजह से भारत सरकार ने जनगणना 2021 का प्रथम चरण रोक दिया है. यह इस साल अप्रैल और सितंबर के बीच होने वाली थी. भारत सरकार ने इसे आर्थिक वजह से भी टाल दिया है, क्योंकि कोरोना महामारी से भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. 2021 की जनगणना जनगणना प्रक्रिया पर 8754 करोड़ रुपये तथा एनपीआर के अध्‍ययतन पर 3941 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. ऐसे में भारत सरकार के लिए यह खर्च उठाना एक चुनौती है.

जनगणना 2021
जनगणना 2021

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Published : Jan 1, 2021, 7:23 AM IST

हैदराबाद: कोरोना महामारी ने मानव जीवन के हर पक्ष को प्रभावित किया है. हालांकि, कुछ पक्ष बेहद प्रभावित हुए हैं तो कुछ कम. इस महामारी ने दुनियाभर के देशों को आर्थिक रूप से तंग बना दिया है. महामारी ने भारत जैसे विकासशील देशों के लिए काफी चुनौतियां सामने लाईं हैं. इस महामारी की वजह से भारत ने जनगणना 2021 के प्रथम चरण को रोक दिया था, जो अप्रैल और सितंबर के बीच में होने वाली थी. इसकी एक वजह यह भी है कि भारत के सामने आर्थिक समस्या है. हालांकि, इस महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन आ गई है, लेकिन वैक्सीन देश के सभी लोगों तक कैसे पहुंचे यह समस्या है.

जनगणना 2021
भारत की 2021 की जनगणना, जो देश की 16वीं जनगणना है, यह आजादी के बाद से आठवीं जनगणना थी. इस साल अप्रैल से सितंबर में होने वाली थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से टाल दी गईं. दूसरे चरण के लिए फरवरी में की जानी है. हालांकि, इसमें किसी भी बदलाव की कोई जानकारी अब तक नहीं मिली है.

कोरोना महामारी की वजह से भारत ही नहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी है. इस वजह से जनगणना 2021 का खर्च उठाना भारत सरकार के लिए एक चुनौती होगी.

2021 की जनगणना की लागत अनुमानित रूप से 8,754 करोड़ रुपये और एनपीआर 3,941 करोड़ रुपये है, जिसमें लगभग 30 लाख प्रगणक और फील्ड अधिकारी (आमतौर पर सरकारी शिक्षक और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किए गए) शामिल हैं.

नागरिकता अधिनियम 1955 संविधान लागू होने के बाद भारतीय नागरिकता हासिल करने, इसके निर्धारण और रद्द करने के संबंध में एक विस्तृत कानून है. इस अधिनियम में 2019 से पहले कई बार संसोधन किए जा चुके हैं.

देश की पूरी आबादी जनगणना प्रक्रिया के दायरे में आएगी जबकि एनपीआर के अद्यतन में असम को छोड़कर देश की बाकी आबादी को शामिल किया जाएगा.

1872 से हो रही जनगणना
देश में हर दस साल बाद जनगणना का काम 1872 से किया जा रहा है. जनगणना 2021 देश की 16वीं और आजादी के बाद की 8 वीं जनगणना होगी. जनसंख्‍या गणना आवासीय स्थिति, सुविधाओं और संपत्तियों, जनसंख्‍या संरचना, धर्म, अनुसूचित जाति/जनजाति, भाषा, साक्षरता और शिक्षा, आर्थिक गतिविधियों, विस्‍थापन और प्रजनन क्षमता जैसे विभिन्‍न मानकों पर गांवों, शहरों और वार्ड स्‍तर पर लोगों की संख्‍या के सूक्ष्‍म से सूक्ष्‍म आंकड़े उपलब्‍ध कराने का सबसे बड़ा स्रोत है. जनगणना कानून 1948 और जनगणना नियम 1990 जनगणना के लिए वैधानिक फ्रेमवर्क उपलब्‍ध कराता है.

2011 की जनगणना

  • कुल जनसंख्या : 1210854977
  • पुरुष जनसंख्या की हिस्सेदारी : 51.47%
  • महिलाओं की हिस्सेदारी : 48.53%
  • दशकीय वृद्धि दर : 17.7%
  • वार्षिक वृद्धि दर : 1.64%
  • लिंगानुपात : 943/1000
  • बाल लिंगानुपात : 919/1000

2001-2011 के दौरान जनसंख्या का प्रतिशत दशकीय वृद्धि आजादी के बाद से सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है. यह 23.87 से अवधि 1991-2001, 2.33 फीसदी की कमी के लिए 21. 54 प्रतिशत करने के लिए 1981-1991 के लिए प्रतिशत की गिरावट आई है. 2001-2011 के लिए, दशकीय वृद्धि 17.64 प्रतिशत, 3.90 प्रतिशत अंक का एक और कमी हो गई है.

वैक्सीन की कीमत
सरकार के समक्ष वैक्सीन की कीमत को नियंत्रित रखना और कालाबाजारी रोकने जैसी कई समस्याएं हैं, क्योंकि इससे अन्य लोगों तक वैक्सीन पहुंचने में देरी हो सकती है. इतना ही नहीं कोल्ड चेन चुनौतियां भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा बनी हुई हैं. क्योंकि वैक्सीन को संभालकर रखने के लिए देश में कोल्ड चेन स्टोरेज की संख्या कम है.

ग्रामीण आबादी को उचित लॉजिस्टिक्स की कमी के कारण वितरण मुश्किल साबित होगा, क्योंकि लोगों तक वैक्सीन पहुंचान के लिए अधिक मात्रा में कोल्ड व्हीकल की आवश्यकता होगी, क्योंकि वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए काफी कम तापमान की आवश्यकता होती है.

प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या भी आवश्यक है, जब वयस्क टीकाकरण की बात आती है, तो भारत पीछे रह जाता है. सामान्य दिनों में भी बच्चों के लिए टीकाकरण एक चुनौती है. इस प्रकार, वैक्सीन का प्रबंधन करने के लिए प्रशिक्षित किए जाने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का एक समूह बनाना स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक चुनौती का विषय है.

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