हैदराबाद : दुनियाभर में आज रियल एस्टेट निवेश का एक प्रमुख क्षेत्र है जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (global GDP) का 10 फीसदी है. दुनियाभर में रोजाना कई इमारतें खड़ी हो रही हैं. कंक्रीट के जंगल शहर का तमगा लेकर उग आए हैं और देश-दुनिया के विकास में अपनी भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन दुनिया की आबादी का बड़ा हिस्सा आवास की कमी और उससे जुड़ी तमाम दिक्कतें झेल रही है.
दुनियाभर में ध्यान देने योग्य मुद्दे
- दुनिया के 13 फीसदी शहरों में पर्याप्त किफायती आवास हैं.
-यूरोपियन यूनियन की 17 फीसदी आबादी भीड़ भरे आवासों में रहती है.
-चिली में 50% घरों पर आवास की लागत का अधिक बोझ है.
-झुग्गियों में रहने वाली दुनिया की 64 फीसदी आबादी अकेले एशिया महाद्वीप में रहती है.
-दुनिया की 20 फीसदी आबादी (1.6 अरब) अपर्याप्त आवासों में रहती है.
-अमेरिका में 16 फीसदी किराएदार अपनी आय का आधे से अधिक हिस्सा आवास पर खर्च कर रहे हैं.
रियल एस्टेट में बदलाव की जरूरत
जानकारों की मानें तो बीते लंबे वक्त से रियल एस्टेट क्षेत्र को बदलाव की दरकार है, वो बदलाव जिसकी बदौलत आने वाले वक्त में दुनियाभर में इस क्षेत्र और इससे जुड़े लोगों के अलावा आम जनता को भी फायदा होगा.
- व्यापक रूप से मान्यता है कि रियल एस्टेट इंडस्ट्री को अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव लाने की जरूरत है. बीते 50 सालों में रियल एस्टेट की उत्पादकता में 19 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि दूसरे उद्योगों में औसत उत्पादन 153 फीसदी बढ़ा है.
- उत्पादकता लाभ को भुनाने में हम उसी समय अक्षम हुए हैं जब हमारी सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ रही है. ताजा अध्ययन के मुताबिक निर्माण लागत में 1 फीसदी की कमी से सालाना 100 बिलियन डॉलर की बचत होगी.
-डिजिटल ट्विन (तकनीक) लागत में 20 फीसदी की कमी लाने में मददगार होंगे. इससे नई परियोजनाओं की गति में 100 गुना सुधार होगा, जिसका फायदा बाजार को मिलेगा. इससे महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और स्थिरता लाभ मिलेंगे.
कोविड-19 के बाद भी शहर पनपेंगे या फलेंगे फूलेंगे, लेकिन उन्हें अनुकूल होना होगा
मौजूदा दौर में पूरी दुनिया पर कोरोना का असर पड़ा है. हर कारोबार कोविड-19 की चपेट में आने से प्रभावित हुआ है और इसमें रियल एस्टेट का क्षेत्र भी शामिल है. लेकिन बढ़ते शहरीकरण के बीच आने वाले दिनों में रियल एस्टेट की भूमिका और भी बढ़ जाती है. इसलिए कोविड-19 के बाद भी शहर पनपेंगे और फलेंगे फूलेंगे, लेकिन उन्हें अनुकूल होना होगा.
- दुनिया की आधी आबादी (55%) शहरों में रहती है और वैश्विक जीडीपी में लगभग 80 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. उनपर कोविड-19 का बुरा असर पड़ा है.