चंडीगढ़ : पंजाब में बिजली संकट को मुद्दा बनाकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरती नजर आ रही हैं. वहीं, किसान आंदोलन को लेकर हाशिए पर आ चुकी भाजपा के सामने बड़ी चुनौती पंजाब के लोगों का विश्वास जीतने की है.
किसान जत्थेबंदिया बाकी राज्यों की तरह पंजाब में भी भाजपा के खिलाफ वोट डालकर सबक सिखाने का एलान कर चुकी हैं. ऐसे में भाजपा की तरफ से पंजाब में नशे का मुद्दा उठाया गया है. बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसे मुद्दों को लेकर पंजाब में भाजपा सत्ता पर काबिज हो पाएगी?
बीते दिनों पंजाब भाजपा की तरफ से कई बार स्थिति को लेकर मंथन किया जा चुका है. हालांकि इन बैठकों के बाद पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सहित बड़े लीडर यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि पंजाब में उनकी स्थिति पहले से अच्छी हुई है, लेकिन राजनीति के जानकार यही मानते हैं कि भाजपा को अब यह पता चल चुका है कि किसान विरोध के कारण पंजाब में जो हालात बने हुए हैं उसमें कोई बड़ा सुधार भविष्य में देखने को नहीं मिलेगा. ऐसे में इन परिस्थितियों से हाथ मिला कर ही चुनाव की तैयारी शुरू करनी होगी.
भाजपा उठा रही नशे का मुद्दा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कोठी का घेराव करने जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं सहित पंजाब भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष राणा भानु प्रताप ने कहा कि 'हालांकि पंजाब में बहुत से मुद्दे हैं जिन पर सरकार ने काम नहीं किया है लेकिन हमारा सबसे अहम मुद्दा पंजाब और पंजाब के नौजवानों को नशे से मुक्त कराना है.'
पहली बार भाजपा में ये बदलाव
बहरहाल किसान आंदोलन के दौरान ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि भाजपा की तरफ से भी किसी मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री का घेराव करने का कार्यक्रम किया गया हो. जानकारी के मुताबिक 2022 को देखते हुए भाजपा ने अपनी गतिविधियां बढ़ाने की योजना बनाई है. भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई कोर कमेटी की बैठक में इसको लेकर पूरी तरीके से चर्चा की गई. अश्विनी शर्मा की तरफ से सभी को यह साफ कर दिया गया है कि वह पंजाब में कांग्रेस के वादों को हथियार बनाकर लोगों के सामने जाएगी.