नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल क्षेत्र के लिए एक वाणिज्यिक पारगमन केंद्र के रूप में उभरा है, बल्कि मानवीय सहायता के वितरण में (खासकर कोरोना महामारी के दौरान) भी मदद की है.
मेरीटाइम इंडिया समिट के आखिरी दिन आयोजित चाबहार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के लोगों की शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का हिस्सा है. भारत ने सितंबर 2020 में अफगानिस्तान को मानवीय खाद्य सहायता के रूप में 75,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए चाबहार बंदरगाह का उपयोग किया.
ईटीवी भारत ने चाबहार और इसके महत्व के बारे में पश्चिम एशिया के एक विशेषज्ञ से बातचीत की.
भारत और क्षेत्र के लिए चाबहार बंदरगाह का महत्व
नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) में पश्चिम एशिया सेंटर की प्रमुख मीना सिंह रॉय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि चाबहार बंदरगाह न केवल भारत के लिए बल्कि अफगानिस्तान के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो इसे और अधिक विशेष बनाता है. एक पहलू भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि है और दूसरा यूरेशियन कॉरिडोर, भारत की मध्य एशिया से कनेक्टिविटी और उससे बाहर.
उन्होंने कहा कि चाबहार बंदरगाह भारत को न केवल इंडो-पैसिफिक, बल्कि यूरेशिया से भी जोड़ता है, जहां भारत एक प्रमुख साझेदार रहा है. यह भारत की रणनीतिक और क्षेत्रीय विस्तार के बारे में भी महत्तवपूर्ण है.
रिसर्च फेलो मीना सिंह ने कहा कि अमेरिका एक कारक है, जो भारत और ईरान संबंध पर भारी पड़ रहा है. यहां तक कि अमेरिका के लिए भी चाबहार और अफगानिस्तान के साथ इसकी कनेक्टिविटी समान रूप से महत्वपूर्ण है. सुरक्षा चिंता के अलावा, आर्थिक दृष्टिकोण से भी चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान को पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने में मदद करता है और यह अफगानियों के लिए कई अवसरों को खोलता है.
उन्होंने कहा कि चाहे वह रूस हो, चीन हो, अमेरिका हो, ईरान हो, भारत हो, क्षेत्र की हर बड़ी शक्ति की चाबहार बंदरगाह में अपनी हिस्सेदारी है. बड़े संदर्भ में देखा जाए तो चीन अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. चीन का इरादा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ओर अधिक है. अफगानिस्तान को अभी तक BRI का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन अब उसे इसमें शामिल किया जा सकता है. इसलिए, समग्र क्षेत्रीय और वैश्विक गतिशीलता में, चाबहार बंदरगाह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
चाबहार बंदरगाह, भारत के व्यापार संबंधों और अफगानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. इसे भारत की इंडो-पैसिफिक दृष्टि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, आर्मीनिया, ईरान, कजाकिस्तान, रूसी संघ और उज्बेकिस्तान के मंत्रियों ने 'चाबहार डे' बैठक में भाग लिया.
'चाबहार' में निवेश ऐतिहासिक निर्णय
विशेष रूप से, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के महत्व को महसूस करते हुए, भारत सरकार ने एक विदेशी बंदरगाह 'चाबहार' में निवेश करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया. वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
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