रायपुर:रमन सरकार के 15 साल में केवल 9 बार भर्ती की गई है जबकि छह बार पीएससी की भर्तियों को किसी न किसी कारण से निरस्त किया गया. लगातार पीएससी भर्ती के जाने को लेकर भी राजनीति होती रही और यह मुद्दा लगातार चर्चा में बना रहा. भाजपा सरकार के दौरान 2003 और 2005 में पीएससी भर्ती घोटाला चर्चा में रहा. 2003 के मामले में अभ्यर्थियों की शिकायत पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा था कि"रमन सरकार के दौरान उक्त भर्ती में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी साफ दिख रही है." जांच के बाद उस सूची को निरस्त कर मानव विज्ञान की कॉपीयों को दोबारा जांचने और फिर से स्कैलिंग कर नई सूची जारी करने का आदेश दिया था. उस दौरान इस भर्ती की जांच में यह भी पाया गया कि किसी अभ्यर्थी को 50 नंबर के पूर्णांक के आधार पर तो किसी को उपकृत करने के लिए 75 नंबर के पूर्णांक के आधार पर कापियां जांची गईं.
2005 में चयनित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर:वर्ष 2005 के पीएससी भर्ती के मामले में सभी चयनित अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था. पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन अशोक दरबारी सस्पेंड हुए. बिलासपुर हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने पूरी नियुक्ति सूची को ही निरस्त कर दिया था. लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट से वह सूची बहाल करा दी गई. आज भी 2005 का मामला न्यायालय में लंबित है.
2020 में आंसर शीट में गड़बड़ी का मामला आया था सामने:कांग्रेस सरकार के समय पीएससी लगातार विवादों में घिरा रहा. साल 2020 की बात की जाए तो उस समय पीएससी की परीक्षा के बाद प्रश्नों के उत्तर को लेकर गड़बड़ी का मामला सामने आया था. पीएससी परीक्षा के बाद जारी आंसर शीट में 4 प्रश्नों के गलत उत्तर को सही बताया गया था. इस परीक्षा में छत्तीसगढ़ के मानसून, संपत्ति के अधिकार, कांगेर घाटी और प्रति व्यक्ति आय से संबंधित प्रश्न को लेकर विवाद हुआ था. परीक्षार्थी और विशेषज्ञों का कहना था कि इन सभी प्रश्नों के गलत जवाब को सही बताया गया है.
अब परिणाम में भाई भतीजावाद का आरोप:वर्तमान में परीक्षा परिणाम को लेकर भी पीएससी विवादों से घिर गया है. भाजपा का आरोप है कि पीएसीएस सेलेक्शन में भाई भतीजावाद किया गया है. चेयरमैन के बेटे का टॉप टेन में सेलेक्शन हुआ है साथ ही कई उच्च अधिकारियों और कांग्रेस के नेताओं के बेटा बेटी सहित अन्य रिश्तेदारों का चयन किया गया है. वहीं कांग्रेस ने भी रमन सरकार के समय आयोजित पीएससी परीक्षा परिणाम को लेकर सवाल उठाए हैं. गुरुवार को प्रेसवार्ता कर कांग्रेस ने भी एक सूची जारी की है, जिसमें तत्कालीन पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों सहित अन्य अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों के नाम हैं. कांग्रेस के मुताबिक"सूची जारी करने का मकसद सिर्फ ये है कि पहले भी प्रशासनिक अफसरों, नेताओं और व्यवसायियों के रिश्तेदारों का चयन पीएससी में होता रहा है. लेकिन किसी का किसी नेता या अधिकारी का रिश्तेदार होना उसकी अयोग्यता नहीं हो जाती है."