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जीएसटी मुआवजा की जरूरत केंद्र के 1.58 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से अधिक होगी:विपक्षी राज्य

केरल, पंजाब और छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्रियों ने कहा कि 28 मई को हुई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-22 की राजस्व क्षतिपूर्ति की आवश्यकता के आकलन पर सहमति नहीं बन पायी. उनकी मांग है कि 'राजस्व संवर्धन एवं जून 2022 उपरांत मुआवजे' पर चर्चा करने के लिए जीएसटी परिषद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए.

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Published : May 31, 2021, 2:37 AM IST

नई दिल्ली :विपक्षी दलों द्वारा शासित तीन राज्यों ने रविवार को कहा कि केंद्र ने जीएसटी के लिए जिस मुआवजा राशि का वादा किया है वह 1.58 लाख करोड़ रुपए के केंद्र के अनुमा से ज्यादा बनेगी है और इस विषय पर चर्चा के लिए जीएसटी परिषद का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाना चाहिए.

केरल, पंजाब और छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्रियों ने कहा कि 28 मई को हुई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में वित्तीय वर्ष 2021-22 की राजस्व क्षतिपूर्ति की आवश्यकता के आकलन पर सहमति नहीं बन पायी. उनकी मांग है कि 'राजस्व संवर्धन एवं जून 2022 उपरांत मुआवजे' पर चर्चा करने के लिए जीएसटी परिषद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए.

पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि सभी राज्य राजस्व में 20 से 50 प्रतिशत तक की कमी का सामना कर रहे हैं और 'हमने यह बात कही कि राज्यों के राजस्व पर चर्चा करने के लिए हर तिमाही में परिषद की बैठक बुलानी चाहिए.'

उन्होंने कहा, 'अप्रैल तक के लिए पंजाब के लिए मुआवजा 5,000 करोड़ रुपए कम था. विपक्षी दलों द्वारा शासित सभी राज्यों ने एक स्वर में कहा कि केंद्र से मिलने वाले मुआवजे की राशि ज्यादा होनी चाहिए.'

बादल ने कहा कि पंजाब जून 2022 के बाद अपनाए जाने वाले राजस्व क्षतिपूर्ति तंत्र पर चर्चा कराने की मांग करता आ रहा है.

केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने कहा कि केंद्र के पास राज्य का 4,077 करोड़ रुपए बकाया हैं और केंद्र को राज्यों के राजस्व में 14 प्रतिशत की वृद्धि सुनिश्चित की जाए जैसा कि जीएसटी लागू करते समय वादा किया गया था.

वहीं छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा कि मुआवजे और उधारी से जुड़े जो अनुमान केंद्र ने लगाए हैं, जीएसटी परिषद के विशेष सत्र में उन पर एक विस्तृत चर्चा की जाएगी. बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है.

जीएसटी परिषद की पिछली बैठक के एजेंडा के अनुसार केंद्र ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्यों के लिए 2.69 लाख करोड़ के मुआवजे की जरूरत का अनुमान लगाया है. इसमें से 1.11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले उपकर से आएगी.

पढ़ें-जीएसटी बैठक : गोवा और तमिलनाडु के मंत्रियों के बीच टकराव

एजेंडा पत्र के अनुसार बाकी की 1.58 लाख करोड़ रुपए की राशि उधार से जुटायी जाएगी.

पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्र ने राज्यों की ओर से उधार लेकर 1.10 लाख करोड़ रुपए जारी किए थे और उपकर के जरिए 68,700 करोड़ रुपए की राशि जुटायी गयी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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