मुंबई:केंद्र सरकार ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि वह हाल ही में संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के तहत सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली फर्जी खबरों की पहचान के लिए 'फैक्ट चेक' (तथ्यान्वेषण) इकाई को पांच जुलाई 2023 तक अधिसूचित नहीं करेगी. न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने सरकार के आश्वासन को स्वीकार कर लिया और कहा कि चूंकि, 'फैक्ट चेक' इकाई के अभाव में संशोधित नियम निष्क्रिय हो जाएंगे, इसलिए नियमों पर रोक लगाने के स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के अनुरोध पर तत्काल सुनवाई करने की जरूरत नहीं है.
कामरा ने अपनी याचिका में संशोधित नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है. खंडपीठ ने उनकी याचिका पर अगली सुनवाई के लिए आठ जून की तारीख निर्धारित कर दी. गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने उच्च न्यायालय से कहा कि 'फैक्ट चेक' इकाई को पांच जुलाई 2023 तक अधिसूचित नहीं किया जाएगा, ताकि अदालत जून में इस मामले की सुनवाई कर सके, जब वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद दोबारा खुलेगी.
वहीं, कामरा के वकील डेरियस खंबाटा ने जोर देकर कहा कि अदालत अंतरिम राहत के लिए गुरुवार को ही मामले की सुनवाई करे. उन्होंने तर्क दिया कि तथ्यों की जांच करने वाली इकाई को अधिसूचित किया जाए या नहीं, संशोधित नियमों को लेकर आशंकाएं बरकरार रहेंगी, जिसके चलते व्यक्ति या समूह कानून या विनियमन के डर से खुली अभिव्यक्ति से हिचकिचाएंगे. हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि 'फैक्ट चेक' इकाई के गठित या अधिसूचित न होने तक संशोधित नियम निष्प्रभावी रहेंगे.
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पीठ ने कहा, 'संशोधित नियम इस 'फैक्ट चेक' इकाई या समिति के गठन के बिना निष्प्रभावी या अक्षम हैं. एक बार इकाई अधिसूचित हो जाती है, तो इसका पूर्वव्यापी प्रभाव होगा या नहीं, यह उस स्तर पर देखा जाना चाहिए.' न्यायमूर्ति पटेल ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर कामरा यह दलील देना चाहते हैं कि वह कुछ ऐसी टिप्पणी या व्यंग्य करने जा रहे हैं, जिसे लेकर उन्हें बाद में कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, तो उन्हें शायद 'गर्मियों की छुट्टी ले लेनी चाहिए.'