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केंद्र सरकार ने दी न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9000 करोड़ रुपये की मंजूरी

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है.

Union Law Minister Kiren Rijju
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (फाइल फोटो))

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Published : Nov 27, 2021, 4:42 PM IST

Updated : Nov 27, 2021, 5:40 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijju) ने शनिवार को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9000 करोड़ रुपये की मंजूरी (9000 crore approved for development of judicial infrastructure) दी है.

उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने इसके लिए अनुरोध किया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है. यह बातें केंद्रीय मंत्री ने 72वें संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहीं.

इस समारोह में सीजेआई एनवी रमना (CJI NV Ramana) भी शामिल थे. कानून मंत्री ने कहा कि सरकार अगली पीढ़ी के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अधिकतम संसाधनों का निवेश करने के लिए भी प्रतिबद्ध है. रिजिजू ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), अदालत प्रबंधन, केसों के तेजी से निपटान, केस कानूनों की ऑनलाइन जानकारी आदि में इसके महत्व के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि इससे न्यायपालिका की दक्षता में सुधार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एआई न्यायाधीशों की जगह नहीं ले सकता लेकिन निष्पक्ष राय देकर हमेशा मदद कर सकता है.

प्रधान न्यायाधीश ने केंद्रीय कानून मंत्री की घोषणा की सराहना की कि सरकार ने न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 9,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. न्यायमूर्ति रमना ने कहा, 'जैसा कि मैंने कल बताया था, धन की समस्या नहीं है. समस्या कुछ राज्यों के अनुदान की बराबरी करने के लिए आगे नहीं आने के कारण है. नतीजतन, केंद्रीय धन का काफी हद तक इस्तेमाल नहीं होता है.'

उन्होंने कहा, 'यही कारण है कि मैं न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण की एक सहायक कंपनी (एसपीवी) का प्रस्ताव कर रहा हूं. मैं मंत्री से आग्रह करता हूं कि इस प्रस्ताव को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाएं. मैं उनसे न्यायिक रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया में तेजी लाने का भी आग्रह करता हूं.'

पढ़ें- संविधान में न्यायपालिका अलग स्तर पर, कार्यपालिका और विधायिका की जवाबदेही स्पष्ट : सीजेआई

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि देश में कई लोग ऐसा मानते हैं कि अदालतें कानून बनाती हैं तथा एक और गलतफहमी है कि बरी किए जाने और स्थगन के लिए अदालतें जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा, 'हकीकत यह है कि सरकारी वकील, अधिवक्ता और पक्षकारों, सभी को न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करना होता है. असहयोग, प्रक्रियात्मक चूक और दोषपूर्ण जांच के लिए अदालतों को दोष नहीं दिया जा सकता है. न्यायपालिका के साथ ये ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है.'

इस कार्यक्रम में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एलएन राव, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यूयू ललित भी मौजूद थे.

Last Updated : Nov 27, 2021, 5:40 PM IST

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