नई दिल्ली : बिजली मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि वह वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के ऊपर विद्युत उत्पादन कंपनियों (जेनको) के बकाए के भुगतान को लेकर एक नई योजना पर काम कर रहा है. इससे देरी से भुगतान के कारण लगने वाले 19,833 करोड़ रुपये के अधिभार की बचत का अनुमान है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'बिजली वितरण कंपनियों की बकाया राशि के भुगतान करने में असमर्थता विद्युत क्षेत्र की पूरी श्रृंखला को प्रभावित कर रही है.'
डिस्कॉम के उत्पादन कंपनियों के भुगतान में देरी से नकदी प्रवाह पर असर पड़ता है. उत्पादन कंपनियों को कोयले जैसे कच्चे माल तथा रोजाना के परिचालन खर्च के लिए पर्याप्त कार्यशील पूंजी की जरूरत होती है. मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, 18 मई, 2022 की स्थिति के अनुसार वितरण कंपनियों के ऊपर बकाया (विवादित राशि और विलम्ब भुगतान अधिभार को छोड़कर) 1,00,018 करोड़ रुपये था. वहीं विलम्ब भुगतान अधिभार (एलपीएससी) 6,839 करोड़ रुपये था.
प्रस्तावित योजना से वितरण कंपनियां वित्तीय बकाया का भुगतान आसान किस्तों कर सकेंगी. सभी डिस्कॉम को एकबारगी छूट देने पर विचार किया जा रहा है. इसके तहत योजना की अधिसूचना की तारीख से बकाया राशि (मूलधन और एलपीएससी सहित) को अवरुद्ध कर दिया जाएगा. इस पर आगे विलम्ब भुगतान अधिभार नहीं लगेगा. वितरण कंपनियों को बकाया राशि 48 किस्तों में देने की सुविधा दी जाएगी.
देरी से भुगतान के लिए अधिभार लगाए बिना बकाया राशि के किस्तों में भुगतान की अनुमति से डिस्कॉम को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी. दूसरी तरफ बिजली उत्पादन कंपनियों को फंसी राशि निश्चित मासिक भुगतान के रूप में मिलेगी, जिससे उन्हें राहत मिलेगी. बयान के अनुसार, हालांकि वितरण कंपनियां अगर मासिक भुगतान में विलम्ब करती हैं, ऐसी स्थिति में पूरी बकाया राशि पर विलम्ब भुगतान अधिभार लगेगा. इस प्रस्तावित योजना से वितरण कंपनियां अगले 12 से 48 महीनों में देरी से भुगतान पर लगने वाले अधिभार के रूप में 19,833 करोड़ रुपये बचा सकेंगी.
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