नई दिल्ली :केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को जानकारी दी कि उसने यूक्रेन से लौटे सभी मेडिकल छात्रों को समायोजित करने की कोशिश की है. लेकिन संस्थान पहले और चौथे वर्ष के छात्रों को नहीं ले पाएंगे क्योंकि इससे व्यवस्था बाधित होगी.
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि सरकार ने याचिका को प्रतिकूल नहीं माना और छात्रों को समायोजित करने के लिए जो कुछ भी कर सकती थी किया.
केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि यूक्रेनी चिकित्सा विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले कुल 15,783 भारतीय छात्रों में से 14,973 ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, जो विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित की जा रही हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कुल 15,783 भारतीय छात्र यूक्रेन के विभिन्न चिकित्सा विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं, जिनमें से 14,973 छात्र यूक्रेन के संबंधित चिकित्सा विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, और 640 छात्र यूक्रेन में ऑफलाइन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. यूक्रेनी विश्वविद्यालयों में नामांकित 170 छात्र शैक्षणिक गतिशीलता कार्यक्रम के तहत अन्य देशों में भागीदार विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
हलफनामे में कहा गया है कि हालांकि 382 छात्रों ने अकादमिक गतिशीलता के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनके आवेदन को यूक्रेनी विश्वविद्यालय या प्राप्तकर्ता भागीदार विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न कारणों से स्वीकार नहीं किया गया था, जिसमें शुल्क का भुगतान न करना, खराब अकादमिक रिकॉर्ड या मुफ्त सीटों की अनुपलब्धता शामिल थी.