नई दिल्ली: भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के साथ अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि पुरातन राजद्रोह कानून (देशद्राेह कानून) अपने उद्देश्य से बाहर हो गया है और अब इसका कोई उपयोग नहीं है.
रोहतगी ने बताया कि अंग्रेजों द्वारा मूल निवासियों के बीच असंतोष को दबाने के लिए यह कानून बनाया गया था, उन्हें डर था कि सरकार को हिंसक उखाड़ फेंका जाएगा.
बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा कि कानून को निरस्त क्यों नहीं किया जा सकता है और कहा कि वह धारा 124 ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर गौर करेगी.
उन्हाेंने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से तहे दिल से सहमत हूं. यह कानून पूरी तरह से पुराना है और केवल अभिव्यक्ति और असहमति को दबाने के लिए है. यह अंग्रेजों द्वारा लाया गया था जो मूल निवासियों के बीच असंतोष को दबाना चाहते थे.