नई दिल्ली: केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) द्वारा जारी नवीनतम आदेश के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए संसद सदस्य (एमपी) और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) सहित कई श्रेणियों में कोटा खत्म कर दिया है. इससे पहले केवीएस ने देश भर के केवी स्कूलों में प्रवेश के लिए एमपी कोटा सहित सभी विवेकाधीन कोटा पर रोक लगा दी थी. सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया, "केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश को सुव्यवस्थित करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई विवेकाधीन कोटा को खत्म करने का निर्णय लिया है. जो केवी को स्वीकृत छात्रों की संख्या से अलग था. हाल ही में शिक्षा मंत्री और केवीएस अध्यक्ष धर्मेंद्र प्रधान ने केवीएस के कामकाज की समीक्षा की थी. जिसमें पता चला कि इन कोटा की वजह से कक्षाओं में भीड़ बढ़ती है, जिससे छात्र-शिक्षक अनुपात और शिक्षक-शिक्षण की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
सरकारी अधिकारी ने आगे बताया कि विवेकाधीन कोटा ने स्कूलों में एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के समग्र प्रतिशत को भी अस्त व्यस्त कर दिया था. इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मंत्रालय, प्रायोजन एजेंसी, सांसद आदि के विवेकाधीन कोटा को समाप्त करने का निर्णय लिया है. शिक्षा मंत्री द्वारा छात्रों की सिफारिश करने की एक लंबी प्रथा थी, लेकिन इसे भी बंद कर दिया गया है. अधिकारी के अनुसार पिछले शैक्षणिक सत्र 2021-22 में भी शिक्षा मंत्री ने अपने कोटे के तहत एक भी प्रवेश की सिफारिश नहीं की थी. साथ ही प्रत्येक सांसद द्वारा अधिकतम दस मामलों की सिफारिश करने का प्रावधान भी बंद कर दिया था. इसके अलावा, प्रायोजक एजेंसियों और अध्यक्षों विद्यालय प्रबंधन समितियों यानी जिला कलेक्टरों के कोटा के तहत हजारों बच्चों के प्रवेश के लिए प्रावधान थे. जिन्हें अब तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है, सूत्रों ने कहा कि इससे देश भर के केवी में लगभग 40,000 सीटों आम बच्चों के लिए उपलब्ध होगी. हालांकि एकल बालिकाओं, अनाथ बच्चों आदि सहित कुछ श्रेणियों के लिए दिए गए कोटा अनवरत जारी रहेगा.