नई दिल्ली : केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Union Ministry of Social Justice and Empowerment) के संसद में दिये गये इस जवाब को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं मिली हैं कि हाथ से मैला साफ-सफाई के कारण किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई (no deaths due to manual scavenging) है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों की मौत के बाद भी उनकी गरिमा छीन ली गई.
हाथ से साफ-सफाई को 'हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013' के तहत प्रतिबंधित किया गया है.
हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की पहचान
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की पहचान हुई है.
यह प्रश्न किए जाने पर कि हाथ से मैला ढोने वाले ऐसे कितने लोगों की मौत हुई है, उन्होंने कहा, 'हाथ से सफाई के कारण किसी की मौत होने की सूचना नहीं है.' सरकार हाथ से मैला सफाई के कारण मौत को मान्यता नहीं देती और इसके बजाय इसे खतरनाक तरीके से शौचालय टैंक एवं सीवर की सफाई के कारण मौत बताती है.
संसद के पिछले सत्र के दौरान दस मार्च को अठावले ने कहा था, 'हाथ से मैला साफ करने के कारण किसी की मौत नहीं हुई. बहरहाल, शौचालय टैंक या सीवर की सफाई के दौरान लोगों की मौत की खबर है.'