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मीडिया नियामक नियमों में डिजिटल मीडिया को भी लाने की तैयारी, जल्द विधेयक लाएगा केंद्र - bill to regulate digital news media industry

प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2019 में बदलाव के लिए सरकार जल्द ही विधेयक लाने की तैयारी कर रही है. इसमें समाचार पत्रों के साथ ही डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी शामिल किया जाएगा (press and periodicals bill to regulate digital news media industry). ऐसा हुआ तो डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो जाएगा.

Centre revives registration of press and periodicals bill to regulate digital news media industry
मीडिया नियामक नियमों में डिजिटल मीडिया को भी लाने की तैयारी

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Published : Jul 15, 2022, 3:46 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार समाचार पत्रों के लिए नई पंजीकरण व्यवस्था के लिए बिल तैयार कर रही है जिसमें डिजिटल समाचार मीडिया उद्योग भी शामिल होगा. अभी ये केंद्र के पंजीकरण ढांचे में शामिल नहीं है. एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार ये रिपोर्ट सामने आई है. ऐसा हुआ तो डिजिटल मीडिया उद्योग को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के साथ रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार जल्द ही कैबिनेट के समक्ष बदलाव के साथ प्रेस और पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2019 का प्रस्ताव रखेगी. नया विधेयक औपनिवेशिक युग के प्रेस और पुस्तकों के पंजीकरण अधिनियम, 1867 की जगह लेगा, जो वर्तमान में भारत में समाचार पत्र और प्रिंटिंग प्रेस उद्योग को नियंत्रित करता है.

विधेयक में डिजिटल समाचार पोर्टलों (digital news portals) को समाचार पत्रों के बराबर लाने का प्रस्ताव है. न्यूज पोर्टल को प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के साथ इकाई को पंजीकृत करने के लिए कहा जाएगा. फिलहाल डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म के लिए ऐसा कोई रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता है.

'मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास' :2019 में केंद्र ने प्रेस और आवधिक विधेयक के पंजीकरण का मसौदा तैयार किया था, जिसमें 'डिजिटल मीडिया पर समाचार' को 'डिजिटल प्रारूप में समाचार' के रूप में परिभाषित किया गया था जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर या मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है और इसमें टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं. इसे लेकर तब बहस छिड़ गई थी, कई लोगों ने आरोप लगाया था कि यह डिजिटल समाचार मीडिया को 'नियंत्रित' करने का प्रयास है.

हालांकि इसके बाद केंद्र ने मसौदा विधेयक को आगे नहीं बढ़ाया. लेकिन अब इस कानून को मंजूरी देने के लिए कैबिनेट के सामने रखा जा सकता है ताकि जल्द ही संसद में लाया जा सके. यह विधेयक पुस्तकों के पंजीकरण और उससे जुड़े मामलों से संबंधित मौजूदा प्रावधानों को भी हटा देगा, जिससे पुस्तक प्रकाशन उद्योग काफी हद तक मुक्त हो जाएगा.

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