नई दिल्ली :केंद्र सरकार ने कच्चे पाम तेल के प्रभावी सीमा शुल्क को घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया. इस कदम से खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने और उपभोक्ताओं को राहत देने में मदद मिलेगी. एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया कि कच्चे पाम तेल पर अब पांच प्रतिशत का कृषि अवसंरचना विकास उपकर (Agricultural Cess on Palm Oil) लगेगा, जो अबतक 7.5 प्रतिशत था. इस कटौती के बाद कच्चे पाम तेल पर प्रभावी सीमा शुल्क 8.25 प्रतिशत की जगह 5.5 प्रतिशत रह जाएगा.
कारोबारियों ने बताया कि इस कटौती से कीमतों में प्रति क्विंटल 280 रुपये की कमी आ सकती है. सरकार ने इससे पहले अक्टूबर 2021 में भी खाद्य तेल के आयात शुल्क में कटौती की थी. भारत अपनी 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है. इंडोनेशिया और मलेशिया भारत को आरबीडी पामोलिन और कच्चे पाम तेल के प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं.
जनवरी में भारत का पाम तेल आयात 29 प्रतिशत घटा: एसईए
देश का पाम तेल का आयात जनवरी में 29.15 प्रतिशत घटकर 553084 टन पर आ गया. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने यह जानकारी दी. हालांकि इस दौरान आरबीडी पामोलीन के आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है जिससे घरेलू रिफाइनरियों की परेशानी बढ़ी है.
भारत दुनिया का प्रमुख वनस्पति तेल खरीदार है. जनवरी 2021 में भारत ने 780741 टन पाम तेल का आयात किया. जनवरी में भारत का कुल वनस्पति तेल आयात 16 प्रतिशत बढ़कर 12.70 लाख टन पर पहुंच गया, जो एक साल पहले समान अवधि में 10.96 लाख टन रहा था. देश के कुल वनस्पति तेल आयात में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पाम तेल का है. एसईए के अनुसार आरबीडी पामोलीन और कच्चे पाम तेल के बीच शुल्क के अंतर में कमी से आरबीडी पामोलीन के आयात में बढ़ोतरी हुई है.
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सीपीओ घरेलू रिफाइनरियों के लिए कच्चा माल है. सीपीओ के आयात में कमी से घरेलू रिफाइनरियों प्रभावित होती हैं. सरकार ने दिसंबर 2021 में परिष्कृत पाम तेल पर प्रभावी आयात शुल्क 19.25 प्रतिशत से घटाकर 13.75 प्रतिशत कर दिया है. हालांकि इसके साथ-साथ सीपीओ पर आयात शुल्क नहीं घटाया गया है. एसईए ने कहा कि जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान आरबीडी पामोलीन का 8-9 लाख टन का आयात हो सकता है. यह सीपीओ की कीमत पर होगा.