नई दिल्ली: देश के नक्सल प्रभावित इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्टर डिवेलप करने के लिए केंद्र सरकार ने फॉरेस्ट लैंड के डायवर्जन की सीमा बढ़ा दी है. अब निर्माण एजेंसियां और सरकार पांच के बजाय 40 हेक्टरयर वन भूमि का उपयोग कर सकती है. एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मिनिस्ट्री ने इस बदलाव को 2020-21 में ही मंजूरी दे दी थी. हालांकि केंद्र सरकार ने इसके लिए 14 कैटिगरी के प्रोजेक्ट को ही चिह्नित किया है.
एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मिनिस्ट्री के अनुसार, स्कूल, डिस्पेंसरी, हॉस्पिटल, इलेक्ट्रिसिटी, कम्यूनिकेशन लाइन, पेयजल योजना प्रोजेक्ट, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, सिंचाई के लिए माइनर और नहर के निर्माण के लिए फॉरेस्ट लैंड में बदलाव की परमिशन दी गई है. इसके अलावा एनर्जी, नॉन कन्वेशनल एनर्जी, स्किल डिवेलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए भी वन भूमि में 40 हेक्टेयर तक का बदलाव किया जा सकता है.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने 26 फरवरी, 2009 से सड़क आवश्यकता योजना (RRP-I) लागू किया था, नक्सल प्रभावित आठ राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के 34 जिलों में सड़क संपर्क में सुधार किया जा सके. इस योजना के तहत 78,673 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 5,362 किलोमीटर सड़कों और आठ महत्वपूर्ण पुलों के निर्माण की प्लानिंग की गई थी. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक कुल 4,981 किलोमीटर सड़कें और छह महत्वपूर्ण पुल बनकर तैयार हो चुके हैं.