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राज्य जीआईबी की सुरक्षा के लिए बर्ड फ्लाइट डायवर्टर लगाएं : केंद्र - bird flight diverter BFD

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में हाईपावर बिजली लाइनों की वजह से पक्षी जीआईबी या गोडावण के अस्तित्व के खतरे को देखते हुए बर्ड फ्लाइट डायवर्टर (बीएफडी) लगाने के लिए कहा है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

great indian bustard
द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी)

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Published : May 30, 2022, 9:19 PM IST

नई दिल्ली:विभिन्न राज्यों में हाईपावर बिजली की लाइनें पक्षीद ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) या गोडावण के अस्तित्व के लिए एक बड़ा खतरा बन गई हैं. इसी को देखते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लुप्तप्राय पक्षी की प्रजातियों की रक्षा के लिए राज्यों से बर्ड फ्लाइट डायवर्टर (बीएफडी) स्थापित करने के लिए कहा है.

इस संबंध में बिजली मंत्रालय ने हाल ही में हाई टेंशन बिजली लाइनों में बर्ड फ्लाइट डायवर्टर लगाने के लिए तकनीकी निर्देश भी जारी किए थे. क्योंकि बिजली का करंट लगने और जीआईबी और अन्य पक्षियों का ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइनों से टकराना इन पक्षियों की मौत का एक प्रमुख कारण है.

बता दें कि द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) भारत में प्रमुख पक्षी प्रजातियों में से एक है और राजस्थान का राज्य पक्षी है, जो एक लुप्तप्राय प्रजाति है. साथ ही कहा गया है कि बाजार में बीएफडी के विभिन्न निर्माताओं की उपस्थिति के बाद, मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया है कि बर्ड फ्लाइट डायवर्टर के विनिर्देशों के मानकीकरण की आवश्यकता है. इसलिए देश भर में बिजली ट्रांसमिशन और वितरण लाइनों पर समान प्रकार के बर्ड डायवर्टर स्थापित किए गए हैं.

2018 जीआईबी सर्वेक्षण के अनुसार, एक बार भारत में 1,000 से अधिक जीआईबी थे जो अब घटकर बमुश्किल 150 रह गए हैं. जीआईबी की अधिकतम संख्या राजस्थान में पाई जाती है. इसके अलावा कुछ गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी कुछ संख्या में मिलते हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने राजस्थान और गुजरात की सरकारों को जीआईबी को बचाने के लिए 20 जुलाई से पहले बिजली लाइनों पर बर्ड डायवर्टर की स्थापना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. अदालत ने दोनों राज्यों के साथ-साथ निजी बिजली उत्पादकों को भी बिजली लाइनों की कुल लंबाई और आवश्यक बर्ड डायवर्टर की अनुमानित संख्या का व्यापक मूल्यांकन करने का भी निर्देश दिया था.

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इस पक्षी को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट ऑफ थ्रेटड स्पीशीज में रखा गया है. इस पक्षी का वजन 14-15 किलो और इसकी ऊंचाई 4 फीट होती है. वहीं बर्ड फ्लाइट डायवर्टर को स्थापित करने के लिए तकनीकी विशिष्टताओं का उल्लेख करते हुए बिजली मंत्रालय के कहा है कि बर्ड फ्लाइट डायवर्टर गतिशील प्रकार का होना चाहिए और इसमें चेतावनी डिस्क और संबंधित क्लैंप और कनेक्टर आदि शामिल होंगे.

दूसरी तरफ मंत्रालय ने कहा, डायनेमिक सोलर पावर्ड एलईडी टाइप बर्ड फ्लाइट डायवर्टर को उन क्षेत्रों में प्राथमिकता दी जाएगी जहां धुंध और धूल भरा मौसम बना रहता है या प्रवासी पक्षियों के मार्ग में पड़ने वाली लाइनों के वर्गों में प्रकाश की तीव्रता कम होती है. इसमें कहा गया है कि बीएफडी को कम से कम 15 साल की अपेक्षित सेवा जीवन के लिए डिजाइन किया जाएगा जो सुरक्षित लाइन पर स्थापना के लिए अनुकूल होगा. मंत्रालय ने कहा कि जहां तक ​​डिजाइन मानकों का सवाल है, बीएफडी में कंडक्टर और अर्थ वायर पर लटकने के लिए उपयुक्त चेतावनी डिस्क भी होनी चाहिए.

इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए, वन्यजीव विशेषज्ञ अभिषेक नारायण ने कहा कि बिजली मंत्रालय द्वारा की गई पहल प्रशंसा के योग्य है. उन्होंने कहा कि हालांकि, बर्ड फ्लाइट डायवर्टर का उचित उपयोग पशु या पक्षी के व्यवहार पर निर्भर करता है. नारायण ने कहा कि यदि बर्ड फ्लाइट डायवर्टर की स्थापना प्रभावी हो जाती है तो यह निश्चित रूप से जीआईबी को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है.

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