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केंद्र ने सुंदरेशन को बॉम्बे एचसी का न्यायाधीश नियुक्त किया, कॉलेजियम ने 10 महीने पहले की थी सिफारिश

वकील सोमशेखर सुंदरेशन को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है. इस साल जनवरी में कॉलेजियम ने उन्हें न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश दोहराई थी. Sundaresan as judge of Bombay HC, Bombay HC, advocate Somasekhar Sundaresan.

Centre appoints Sundaresan as judge
बॉम्बे एचसी का न्यायाधीश नियुक्त

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 23, 2023, 8:04 PM IST

नई दिल्ली :केंद्र सरकार ने गुरुवार को वकील सोमशेखर सुंदरेशन को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया. सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश दोहराए जाने के 10 महीने से अधिक समय बाद ये नियुक्ति की गई है.

'एक्स' पर एक पोस्ट में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि राष्ट्रपति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद सुंदरेसन को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करके प्रसन्न हैं.' इससे पहले केंद्र ने उनका नाम इस आधार पर वापस कर दिया था कि उन्होंने अदालतों में लंबित मामलों सहित कई मामलों पर सोशल मीडिया पर विचार प्रसारित किए थे.

शीर्ष अदालत कॉलेजियम ने सबसे पहले 16 फरवरी, 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सुंदरेशन की सिफारिश की थी. हालांकि सरकार ने 25 नवंबर, 2022 को उनकी पदोन्नति पर पुनर्विचार की मांग की थी.

इस साल जनवरी में कॉलेजियम ने उन्हें न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश दोहराई. आख़िरकार सरकार ने आज न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उनके नाम को मंजूरी दे दी. प्रक्रिया ज्ञापन के अनुसार, न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा एक बार दोहराई गई सिफारिश को केंद्र द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए.

कॉलेजियम ने जनवरी में कहा था, 'संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सभी नागरिकों को स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति का अधिकार है. कोई उम्मीदवार तब तक संवैधानिक पद पर रहने से वंचित नहीं होता जब तक कि न्यायाधीश पद के लिए प्रस्तावित व्यक्ति सक्षम, योग्यता और निष्ठा वाला व्यक्ति न हो.'

कॉलेजियम ने कहा था, 'सोमशेखर सुंदरेसन की उम्मीदवारी पर आपत्ति पर विचार करने के बाद, कॉलेजियम का मानना ​​​​है कि सोशल मीडिया पर उम्मीदवार के बारे में बताए गए विचार, यह अनुमान लगाने के लिए कोई आधार नहीं देते हैं कि वह पक्षपाती है.जिन मुद्दों पर उम्मीदवार की राय बताई गई है, वे सार्वजनिक डोमेन में हैं और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उन पर बड़े पैमाने पर विचार-विमर्श किया गया है.'

कॉलेजियम ने कहा कि जिस तरह से उम्मीदवार ने अपने विचार व्यक्त किए हैं, वह इस निष्कर्ष को उचित नहीं ठहराता है कि वह एक 'अत्यधिक पक्षपाती राय वाला व्यक्ति' है या वह सरकार की 'महत्वपूर्ण नीतियों, पहलों और निर्देशों पर सोशल मीडिया पर चुनिंदा रूप से आलोचनात्मक रहा है (जैसा कि न्याय विभाग की आपत्तियों में दर्शाया गया है) और न ही यह इंगित करने के लिए कोई सामग्री है कि उम्मीदवार द्वारा इस्तेमाल की गई अभिव्यक्तियां मजबूत वैचारिक झुकाव वाले किसी भी राजनीतिक दल के साथ उसके संबंधों का संकेत देती हैं.

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