नई दिल्ली:केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High court) के जज जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा (Justice Dinesh Kumar Sharma) को गैरकानूनी गतिविधि न्यायाधिकरण यानी यूएपीए ट्रिब्यूनल (UAPA Tribunal) का पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) नियुक्त किया. ये ट्रिब्यूनल पीएफआई (PFI) और उससे संबंधित संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध की समीक्षा करेगा.
28 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यूएपीए की धारा 3 (1) के तहत पीएफआई और उससे संबंधित संगठनों को तत्काल प्रभाव से 5 साल के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित करते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. तो वहीं, जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा को 28 फरवरी 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था.
पीएफआई के साथ इन संगठनों पर लगा बैन
आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का हवाला देते हुए, केंद्र ने पीएफआई और उसके सहयोगी रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल को गैरकानूनी संगठन घोषित किया है.
गृह मंत्रालय ने जारी की आरोपों की लिस्ट
गृहमंत्रालय (Home Ministry) ने पीएफआई (PFI) पर लगे आरोपों की एक लिस्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि पिछले कुछ सालों में देश के अलग-अलग राज्यों में हुई हत्याओं में पीएफआई का हाथ रहा है. केरल (Kerala) में साल 2018 में अभिमन्यु, साल 2021 में ए. संजीथ, साल 2021 में ही नंदू की हुई हत्याओं में इसी संगठन का हाथ है. इसके अलावा तमिलनाडु (Tamilnadu) में साल 2019 में रामलिंगम, साल 2016 में शशि कुमार, कर्नाटक में साल 2017 में शरथ, साल 2016 में आर. रुद्रेश, साल 2016 में ही प्रवीण पुजारी और 2022 में प्रवीण नेट्टारू की नृशंस हत्याएं भी इसी संगठन ने करवाई थी. इन हत्याओं का एकमात्र मकसद देश में शांति भंग करना और लोगों के मन में खौफ पैदा करना था.