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डब्ल्यूटीओ में किसानों के हितों की रक्षा करे केंद्र सरकार : राकेश टिकैत

भारतीय किसान यूनियन ने कहा है कि केंद्र सरकार डब्ल्यूटीओ में किसानों के हितों की रक्षा करे. इस बारे में संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (rakesh tikait) ने बताया कि जिनेवा में यूनियन का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भाग लेगा.

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राकेश टिकैत (फाइल फोटो)

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Published : Jun 10, 2022, 7:26 PM IST

नई दिल्ली : विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जिनेवा में 12 से 15 जून के बीच होने जा रहा है. ऐसे में भारत सरकार से भारतीय किसान यूनियन की मांग है कि वह अपने देश के किसानों के हितों की रक्षा करे और लागत मूल्य के हिसाब से किसानों के उत्पादों के मूल्य में उसी अनुपात में वृद्धि का अनुपालन कराने हेतु दबाव बनाए ताकि देश के किसानों को उसका उचित लाभ मिल सके.

इस बारे में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (rakesh tikait) ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसानों के संगठन ला विया कैंपसिना (lvc) का एक सदस्य संगठन है, इस बार इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह की अगुवाई में तीन किसान नेताओं का प्रतिनिधिमंडल जिनेवा पहुंच रहा है. वह भारतीय किसान यूनियन की तरफ से किसानों का प्रतिनिधित्व करेगा.

यह सम्मेलन में ऐसे समय में हो रहा है जब देश के किसान जो पहले से भी कृषि संकट से जूझ रहे थे, उन पर कोविड-19 महामारी की दोहरी मार पड़ी है. इस वक्त उर्वरक, ईंधन और अन्य लागत में तेजी आई है, जिससे किसानों के लिए उत्पादन महंगा हो गया है और दूसरी तरफ उत्पाद की कम कीमत उन्हें कर्ज के दुष्चक्र में फंसा रही है. किसान उत्पादों की लागत बढ़ने के अनुरूप अगर उत्पाद के मूल्य में तेजी नहीं लाई गई तो 140 करोड़ देशवासियों की खाद्य जरूरतों को पूरा करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. वैश्विक खाद्य संकट के दौर में ऐसा होने से देश की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी.

उन्होंने कहा कि इस बारे में भारतीय किसान यूनियन का मानना है कि मुक्त व्यापार समझौते और बाहरी देशों से सस्ते आयात के आने से घरेलू उत्पाद के दाम में गिरावट से भारतीय किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है और कई बार इसकी वजह से किसान आत्महत्या भी कर लेते हैं. इसलिए भारतीय किसान यूनियन का स्पष्ट मत है कि दुनियाभर में जारी की जा रहीं नव उदारवादी आर्थिक नीतियों में बदलाव किया जाए और भारत कृषि को डब्ल्यूटीओ तथा मुक्त व्यापार समझौते से दूर रखा जाए.

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