दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कोविड-19 टीका लगवाना अनिवार्य नहीं : केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कोविड 19 वैक्सीन (covid 19 vaccine ) परीक्षण डेटा का खुलासा करने और कुछ राज्यों द्वारा वैक्सीन को अनिवार्य बनाने पर चिंता वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित (RESERVES ORDER) रख लिया. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने मामले की सुनवाई की. 3 घंटे चली सुनवाई में राज्यों और याचिकाकर्ता ने अपने विस्तृत तर्क प्रस्तुत किए. इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने अपने तर्क रखे थे.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

By

Published : Mar 22, 2022, 10:30 PM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में यह स्पष्ट किया कि उसने कोविड-रोधी टीकाकरण (covid 19 vaccine ) अनिवार्य नहीं किया है और केवल इतना कहा है कि शत-प्रतिशत टीकाकरण होना चाहिए. तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद तिवारी ने न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ से कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को आदेश जारी किया है कि 100 फीसदी लोगों का टीकाकरण होना चाहिए. इस पर केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह स्पष्टीकरण दिया.
कोविड-19 टीके पर नैदानिक आंकड़े और टीकाकरण के बाद के मामलों का खुलासा करने के अनुरोध वाली याचिका पर पीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया. इस दौरान मेहता ने पीठ से कहा कि माननीय एक स्पष्टीकरण कि तमिलनाडु राज्य का कहना है कि टीकाकरण को अनिवार्य किया गया है क्योंकि केंद्र ने 100 फीसदी टीकाकरण को कहा है. यह अनिवार्य नहीं है. केंद्र ने कोई भी ऐसा आदेश जारी नहीं किया है, केंद्र का रुख ये है कि यह (टीकाकरण) शत-प्रतिशत होना चाहिए लेकिन अनिवार्य नहीं है. वहीं, महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए सभी लोगों के टीकाकरण को अनिवार्य करने के राज्य सरकार के आदेश को उचित ठहराया.
टीका निर्माता कंपनी भारत बायोटेक लिमिटेड और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भी याचिका का विरोध किया और कहा कि जनहित में होने का दावा करने वाली याचिका निजी मकसद से प्रेरित जान पड़ती है, जोकि खारिज किए जाने योग्य है. कंपनियों ने कहा कि इस याचिका के कारण वैश्विक महामारी के बीच टीका संबंधी हिचकिचाहट बढ़ेगी. भारत बायोटेक की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि उसने अपने नैदानिक आंकड़ों के निष्कर्ष प्रमुख जर्नल के जरिए सार्वजनिक किए हैं और ये उसकी वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं. सीरम इंस्टिट्यूट की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी नैदानिक आंकड़ों के निष्कर्षों का खुलासा करने का अनुरोध वाली याचिका खारिज करने का आग्रह किया है.

पढ़ें: कोरोना टीका लेने से बच्चों में 'मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' होने के संकेत नहीं

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह उनका तर्क है कि सरकार के पास जनादेश जारी करने की शक्ति नहीं है, लेकिन हमारे पास इस बीमारी और टीके के बारे में जो जानकारी है, उसे देखते हुए कोई भी जनादेश असंवैधानिक होगा. सरकार को यह प्रदर्शित करना होगा कि टीके का अच्छी तरह से अध्ययन किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ सबूत हैं जो दिखाते हैं कि टीका गंभीरता को कम कर सकता है लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि टीका लगाए गए व्यक्ति में एक असंक्रमित व्यक्ति की तुलना में वायरस के संचरण का जोखिम कम होता है.
इसके अलावा टीका प्राकृतिक संक्रमण की नकल करता है और यदि कोई व्यक्ति पहले से ही कोविड 19 से पीड़ित है, तो वह स्पष्ट रूप से अधिक सुरक्षित होगा. सॉलिसिटर जनरल की दलीलों के खिलाफ तर्क देते हुए कि एक प्रणाली है, वैक्सीन की जांच के लिए विभिन्न समितियां हैं, भूषण ने तर्क दिया कि यह एक फर्जी प्रणाली है और अगर ऐसा नहीं भी है तो इसे डेटा दिखाना होगा. उन्होंने डॉ अदिति भार्गव की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसे अमेरिका में सीनेट के सामने रखा गया था जिसमें कहा गया था कि पोलियो जैसे अन्य टीकों के साथ कोविड 19 वैक्सीन की तुलना करना सेब की तुलना संतरे से करने जैसा है क्योंकि वे अलग हैं, एक आरएनए है और दूसरा डीएनए है. अधिकांश डीएनए वायरस एक बार टीकाकरण के बाद बहुत धीमी गति से उत्परिवर्तित होते हैं, जीवन भर की प्रतिरक्षा होती है लेकिन आरएनए (कोविड) के मामले में वे बहुत तेजी से उत्परिवर्तित होते हैं और टीका पर्याप्त नहीं होता है इसलिए इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है जैसा कि हम फ्लू के मामले में देखते हैं.

पढ़ें: कोविड के खिलाफ गेम चेंजर साबित हो सकती है नेजल वैक्सीन : AIIMS विशेषज्ञ

भूषण ने टीकों के अनुमोदन से संबंधित समितियों के कामकाज पर संसदीय समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई दवाओं के मामले में उल्लंघन, मनगढ़ंत कहानी सुनाई गई है. भूषण ने कहा कि यह मेरा जीवन है, मेरे निर्णय हैं. मुझे टीके लगवाने से पहले तौलना होगा. अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपनी दलीलों के समर्थन में ढेर सारे आंकड़े पेश किए और अब यह तय करना होगा कि किस पर भरोसा किया जाए और उसके अनुसार आदेश पारित किया जाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details