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बंगाल के मुख्य सचिव के तबादले को रोक सकती हैं ममता ! जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

केंद्र सरकार के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को सेवानिवृत्त होने के दिन दिल्ली बुलाने के अपने आदेश का अनुपालन कराना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने से इनकार कर सकती है. यह मानना पूर्व शीर्ष नौकरशाहों और विधि विशेषज्ञों का है.

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Published : May 30, 2021, 9:39 PM IST

बंगाल के मुख्य सचिव के तबादले
बंगाल के मुख्य सचिव के तबादले

कोलकाता : पूर्व शीर्ष नौकरशाहों और विधि विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को सेवानिवृत्त होने के दिन दिल्ली बुलाने के अपने आदेश का अनुपालन कराना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने से इनकार कर सकती है.

उल्लेखनीय है कि केंद्र ने बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवात यास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक को महज 15 मिनट में निपटाने से उत्पन्न विवाद के कुछ घंटों के बाद दिया. इससे कुछ दिन पहले राज्य में कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद के लिए बंद्योपाध्याय का कार्यकाल 3 महीने के लिए बढ़ाने का केंद्रीय आदेश जारी किया गया था.

भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा कि राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली को रेखांकित कर विनम्रता से जवाब दे सकती है.

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उन्होंने कहा कि केंद्र के लिए एकतरफा तरीके से IAS या IPS अधिकारी का तबादला करना मुश्किल है, जो उसके नियंत्रण में नहीं है, बल्कि संघ के भीतर दूसरे सरकार के अधीन है.

अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है.

भारतीय प्रशासनिक सेना (काडर) नियम-1954 के तहत कोई असहमति होने पर मामले पर निर्णय केंद्र सरकार और राज्य सरकार कर सकती है या संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को प्रभावी कर सकती है.

सरकार ने कहा कि हालांकि, समस्या केंद्र सरकार के लिए यह है कि उसने न तो पश्चिम बंगाल सरकार की और न ही बंद्योपाध्याय की सहमति ली जो ऐसे तबादलों में आवश्यक मानी जाती है.

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जवाहर सरकार ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण या उच्च न्यायालय के जरिये कानूनी रास्ता भी अपना सकती है.

हालांकि, माना जा रहा है कि केंद्र ने दोनों मंचों पर कैविएट दाखिल किया है. यह वह तरीका है जिसमें सामान्य समझ महत्व रखता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणाभ घोष ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री तत्काल अधिकारी को कार्यमुक्त नहीं करने का फैसला करती हैं तो कानूनी जटिलताएं पैदा हो जाएंगी.

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव सीधे मुख्यमंत्री के नियंत्रण में है.

- भाषा

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