नई दिल्ली : मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) को कथित तौर पर बैठक के लिए बुलाने संबंधी सरकारी पत्र पर विवाद के बीच कानून मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि पत्र आयोग के सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था. साथ ही, कहा कि सीईसी और दो निर्वाचन आयुक्तों के साथ बाद में डिजिटल तरीके से बातचीत का उद्देश्य चुनावी सुधारों पर मतभेदों को दूर करना था.
कानून मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कैबिनेट सचिव, कानून सचिव और विधायी सचिव को 16 नवंबर को आम मतदाता सूची पर बैठक करने के लिए पत्र लिखा था.
बयान में कहा गया, 'यह मुख्य निर्वाचन आयुक्त को संबोधित नहीं किया गया था. चूंकि निर्वाचन आयोग के पास मतदाता सूची के संबंध में आवश्यक विशेषज्ञता और शक्तियां हैं और कानून मंत्री, सचिव, विधायी विभाग को संबोधित मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पिछले पत्रों के आलोक में ऐसा लगा कि इस बैठक में निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को आमंत्रित करना उचित होगा.'
बयान के मुताबिक विधायी विभाग द्वारा पत्र सचिव को संबोधित किया गया था और पत्र के अंतिम पैराग्राफ में भी सचिव, निर्वाचन आयोग से बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया गया था.