हैदराबाद : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा 10 और 12 के 33 लाख से अधिक छात्रों को राहत दी है. टर्म वन में एग्जाम देने वाले स्टूडेंट फेल नहीं होंगे. हालांकि टर्म वन में मिले मार्क्स के आधार पर उन्हें टर्म -2 की बेतहर तैयारी करनी होगी. एक साल में दो बोर्ड परीक्षा प्रणाली की शुरूआत छात्रों के लिए नई थी. MCQ फॉरमेंट में आयोजित टर्म -1 परीक्षा में स्टेप मार्किंग के लिए जगह नहीं थी. कई छात्रों ने चिंता जताई थी कि इस साल आयोजित टर्म वन बोर्ड परीक्षा सामान्य से अधिक कठिन थी.
सीबीएसई के अनुसार, टर्म 1 एग्जाम रिजल्ट में सिर्फ मार्क्स होंगे. छात्र का मूल्यांकन सिर्फ एग्जाम के लिए किया जाएगा और किसी भी छात्र को पास, फेल, रिपीटर या कंपार्टमेंट ग्रेड नहीं दिया जाएगा. सेकंड टर्म के एग्जाम के बाद पास या फेल की मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी. फाइनल रिजल्ट टर्म 1 और टर्म 2 और आंतरिक मूल्यांकन (internal evaluation ) के आधार पर बनाए जाएंगे.
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एग्जाम कंट्रोलर संयम भारद्वाज ने कहा कि इस प्रणाली से बोर्ड एग्जाम में फेल होने वाले छात्रों की संख्या भी कम होगी, क्योंकि पहले टर्म के नतीजे के बाद स्टूडेंट खुद का बेहतर तरीके मूल्यांकन कर पाएंगे. इसके बाद उनके लिए यह जानना आसान होगा कि दूसरे टर्म के लिए कितनी तैयारी करने की जरूरत है.
सीबीएसई टर्म वन एग्जाम में मार्क्स तो मिलेंगे मगर फेल या पास कोई नहीं होगा. इसके आधार पर छात्रों के टर्म 2 की तैयारी करनी होगी. सीबीएसई टर्म-1 बोर्ड परीक्षा के नतीजे जनवरी तक घोषित हो सकते हैं. बोर्ड ने इस साल स्कूलों को निर्देश दिया था कि वह एग्जाम के बाद तुरंत ऑन्सर का मूल्यांकन करें और अपलोड करें. अधिकतर शिक्षकों ने एग्जाम के बाद कॉपी चेक की और स्कोर सीबीएसई को भेज दिए.
सीबीएसई ने इंटरनल असेस्मेंट के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है. क्लास 10 के छात्रों को तीन स्तर पर चेक किया जाएगा. पहला स्टूडेंट ने पोर्टफोलियो में कितना सुधार किया है. दूसरा प्रैक्टिल वर्क और तीसरा स्पीकिंग एक्टिविटी. क्लास 12 का इंटरनल असेस्मेंट यूनिट टेस्ट, एक्सप्लोरेटरी एक्टिविटी, प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट के आधार पर किया जाएगा.