मुंबई : महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. देशमुख के खिलाफ जारी सीबीआई (CBI) जांच को लेकर सरकार पर सहयोग नहीं करने के आरोप लगे हैं. वहीं राज्य सरकार द्वारा देशमुख के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर एक मामले को रद्द करने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) के समक्ष दायर याचिका में सुनवाई के दौरान मूल शिकायतकर्ता डॉ. जयश्री पाटिल ने भी अपने तर्क दिए. उन्होंने कोर्ट से कहा कि राज्य सरकार की याचिका अनुचित है. उन्होंने हाईकोर्ट से याचिका खारिज करने की मांग की.
साथ जयश्री पाटिल ने यह भी मांग की कि मामले की जांच के दौरान पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को भी प्रतिवादी बनाया जाए. इस बीच जयश्री पाटिल ने सचिन वाजे द्वारा एनआईए कोर्ट को लिखा पत्र हाई कोर्ट में पेश किया.
हालांकि, राज्य सरकार के वकीलों ने इस मांग का विरोध किया. वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान राज्य सरकार को आपत्ति करने का क्या कारण है? इसके विपरीत, हर राज्य को केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ सहयोग करना चाहिए.
मेहता ने अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय के पिछले आदेश के बाद शुरू की गई जांच, 'पूरे राज्य प्रशासन की सफाई करने' का मौका थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार केंद्रीय एजेंसी के साथ सहयोग करने से इनकार कर रही है.
पढ़ें -सीबीआई देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी के जरिए शुक्ला मामले में दखल दे रही : महाराष्ट्र सरकार
मेहता ने राज्य सरकार द्वारा लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया कि सीबीआई जांच में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की बहाली और मुंबई पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती में देशमुख के अनुचित हस्तक्षेप के मुद्दों को शामिल करके उच्च न्यायालय के आदेश से बाहर जा रही है.
उन्होंने राज्य के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया कि सीबीआई अवैध फोन टैपिंग और पुलिस तैनाती से संबंधित संवेदनशील दस्तावेजों को कथित तौर पर लीक करने के मामले में आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ जांच में पिछले दरवाजे से प्रवेश पाने के लिए देशमुख के खिलाफ चल रही तहकीकात का इस्तेमाल कर रही है.
सॉलिसिटर जनरल ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे (Justice SS Shinde) और न्यायमूर्ति एनजे जामदार (Justice NJ Jamdar) की पीठ के समक्ष अभिवेदन दिया, जो इस साल की शुरुआत में देशमुख के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी से दो पैराग्राफ को हटाने का आग्रह करने वाली महाराष्ट्र सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है.
सीबीआई देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोपों की जांच कर रही है. यह आरोप मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने लगाए हैं.
पढ़ें -HC ने स्थगित की अनिल देशमुख की याचिका, CBI की कार्रवाई से नहीं मिलेगी राहत