नई दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सरकारी विज्ञापन के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अखबारों को पैनल में शामिल कराने के आरोप में अज्ञात सरकारी अधिकारियों और तीन व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी,
यह मामला लगभग दो साल पहले विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी), जिसे अब ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (बीओसी) के नाम से जाना जाता है, में सीबीआई द्वारा की गई औचक जांच में सामने आया था. एक मामले में, यह पाया गया कि छह समाचार पत्र - अर्जुन टाइम्स के दो संस्करण, हेल्थ ऑफ भारत और दिल्ली हेल्थ को सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने के लिए डीएवीपी में सूचीबद्ध किया गया था.
एजेंसी की आंतरिक जांच के दौरान यह पाया गया कि अखबार में उल्लेखित प्रिंटिंग प्रेस के पते से ऐसा कोई समाचार पत्र प्रकाशित नहीं किया जा रहा था और न ही चार्टर्ड अकाउंट ने कोई प्रमाण पत्र जारी किया था. सीबीआई ने रविवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड की गई प्राथमिकी में कहा कि सरकारी इश्तिहारों को लेने के लिए जमा किए गए दस्तावेज जाली थे.
झूठे और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी विज्ञापनों के लिए अखबारों को पैनल में शामिल कराने के आरोप में हरीश लांबा, आरती लांबा और अश्विनी कुमार सहित बीओसी के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि इन अखबारों ने धोखे से और बेईमानी से डीएवीपी से 2016 से 2019 तक 62.24 लाख रुपये के इश्तिहार हासिल किए.
एक अधिकारी ने कहा कि अगर अखबारों को पैनल में शामिल कराने की तारीख से गणना करें तो यह राशि अधिक हो सकती है. उन्होंने बताया कि अन्य समाचार पत्रों के संबंध में भी ऐसी ही अनिमियतताओं का पता चला है. मामले की जांच के दौरान, सीबीआई के अधिकारी झंडेवालन स्थित प्रिंटिंग प्रेस गए थे और उसके मालिक दर्शन सिंह नेगी से मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें सूचित किया कि उनके यहां ऐसा कोई अखबार नहीं छपा है.
जांच के दौरान, एजेंसी ने पाया कि 'अर्जुन टाइम्स' के लिए 2017 में जमा किए गए कागजात में, अश्विनी कुमार को प्रकाशक के रूप में दिखाया गया था. हरीश लांबा अखबार के मालिक हैं. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नेगी ने लांबा या कुमार से कभी मिलने से भी इनकार किया है और यह भी कहा कि अखबार उनके प्रेस में कभी नहीं छपा.
(पीटीआई-भाषा)