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सीबीआई कोर्ट ने आकार पटेल के विदेश जाने पर लगाई रोक

एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व प्रमुख आकार पटेल का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. CBI की विशेष कोर्ट ने आदेश दिया है कि पटेल (Aakar Patel) उनकी अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते हैं. अदालत ने यह भी कहा कि सीबीआई के निदेशक को आकार पटेल से माफी मांगने की भी जरूरत नहीं है. एक दिन पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि सीबीआई निदेशक पटेल से लिखित में माफी मांगें. पटेल विदेश जाना चाहते हैं, लेकिन उनके खिलाफ सर्कुलर जारी होने की वजह से उन्हें रोक दिया गया.

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Published : Apr 8, 2022, 7:15 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व प्रमुख आकार पटेल के खिलाफ जांच एजेंसी द्वारा जारी लुकआउट सर्कुलर को रद्द करने के दिल्ली की एक अदालत के निर्देश के संबंध में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने से इनकार कर दिया. अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने से इनकार करते हुए, केंद्रीय एजेंसी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वे पहले ही मामले में संशोधन के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा चुके हैं.

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आकार पटेल के विदेश जाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि बिना उनकी इजाजत के वे विदेश नहीं जा सकते हैं.कोर्ट के जज संतोष स्नेही मान ने यह भी फैसला सुनाया कि लुक आउट नोटिस के लिए सीबीआई के डायरेक्टर को आकार पटेल से माफी मांगने की जरूरत नहीं है.

विदेश जाने से रोकने वाले सीबीआई के लुकआउट सर्कुलर को रद्द करने वाली अदालत से राहत पाने वाले पटेल ने शुक्रवार को फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया था और कहा कि उन्हें उनके प्रति एक अनुकूल आदेश के बावजूद हवाई अड्डे पर दूसरी बार रोका गया. उन्होंने घटना के संबंध में जांच अधिकारी को तलब करने के लिए अदालत से निर्देश देने की भी मांग की. गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने सीबीआई निदेशक से लिखित माफी की मांग भी की थी.

इस मामले में दिल्ली की निचली अदालत ने सीबीआई को आदेश दिया था कि एजेंसी की ओर से सीबीआई निदेशक आकार पटेल से लिखित में माफी मांगेंगे और सर्कुलर वापस लेते हुए अपनी चूक को स्वीकार करेंगे. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि इस मामले में, सीबीआई के प्रमुख अर्थात निदेशक, सीबीआई द्वारा अर्जीकर्ता को अपने अधीनस्थ की ओर से चूक को स्वीकार करते हुए एक लिखित माफी न केवल उनके घावों को भरेगी बल्कि इस प्रमुख संस्थान में जनता के विश्वास को बनाए रखेगी. कोर्ट ने आज की कार्रवाई में इसी फैसले को पलट दिया.

अदालत ने पटेल के वकील तनवीर अहमद मीर की दलीलों पर ध्यान दिया, जिन्होंने तर्क दिया था कि परिपत्र बिना किसी प्रक्रिया के जारी किया गया था. इसके साथ ही उन्होंने लेखक के मौलिक अधिकारों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल द्वारा जांच एजेंसी को सहयोग नहीं करने का कोई सवाल ही नहीं है.

पत्रकार और लेखक पटेल अमेरिका जाने की तैयारी में थे, जब उन्हें एफसीआरए (विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के मामले में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ जारी सर्कुलर का हवाला देते हुए बुधवार को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर देश छोड़ने से रोक दिया गया था. पटेल ने पहले 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित विषयों पर काम किया था और एक रिपोर्ट 'राइट्स एंड रॉन्ग' प्रस्तुत की थी. इसके साथ ही वे भारत और पाकिस्तान में प्रकाशनों के लिए कॉलम भी लिखते रहे हैं.

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