लखनऊ:सुरक्षा का घेरा घटने के बाद अब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (Pragatisheel Samajwadi Party) के अध्यक्ष व सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव की मुस्किलें और बढ़ने वाली हैं. गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front Scam) में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल व दो अधिकारियों की भुमिका की जांच शुरू हो गई है. घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने शिवपाल व दो अधिकारियों से पूछताछ के लिए शासन से अनुमति मांगी है.
यूपी में योगी सरकार बनने के हाद सबसे पहले अखिलेश सरकार में बने गोमती रिवर फ्रंट की जांच करवाई थी. सरकार की जांच में घोटाला सामने आने पर पूरा मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई अब तक इस घोटाले में आरोपी कई इंजीनियरों को गिरफ्तार कर चुकी है. यही नहीं इस मामले में उस समय के दो कद्दावर आईएएस अधिकारी व सिंचाई मंत्री की भी भुमिका सीबीआई को संदिग्ध मिली थी. जिस कारण सीबीआई शिवपाल व आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती है. शासन ने पूछताछ की अनुमति देने के लिए सिंचाई विभाग से संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं. यदि गोमती रिवर फ्रंट मामले में इन तीनों लोगों की भूमिका संदिग्ध मिली तो सीबीआई को पूछताछ की अनुमति दे दी जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक गोमती रिवर फ्रंट की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी जिन दोनों आईएएस अधिकारियों की थी. उनके बारे में यह देखा जा रहा है कि उन्होंने टेंडर की शर्तों में बदलाव के लिए मौखिक या लिखित रूप से कोई आदेश तो नहीं दिया. वहीं, शिवपाल के मामले में यह जानकारी जुटाई जा रही है कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में अभियंताओं को अतिरिक्त चार्ज देने में उनकी क्या भूमिका रही? बिना टेंडर काम देने या गुपचुप ढंग से टेंडर की शर्तें बदले जाने में भी उनकी भूमिका की पड़ताल हो रही है. किसी भी पूर्व मंत्री ने अपने मंत्री रहते कोई निर्णय लिया हो तो उस अवधि के भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति आवश्यक होती है.