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भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशियों की तस्करी के मुख्य आरोपी की जमानत याचिका खारिज

कलकत्ता हाई कोर्ट ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशियों की तस्करी करने वाले गिरोह के कथित 'सरगना' एनामुल हक की जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता गवाहों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती.

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Published : Nov 11, 2021, 7:56 PM IST

कलकत्ता हाई कोर्ट
कलकत्ता हाई कोर्ट

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मवेशियों की सीमा पार तस्करी करने वाले गिरोह के कथित 'सरगना' एनामुल हक की जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी.

मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए मवेशियों की तस्करी का गिरोह चलाने और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) एवं सीमा शुल्क के अधिकारियों के साथ अवैध लेनदेन में कथित भूमिका के लिए हक को छह नवंबर को गिरफ्तार किया था. अदालत ने हक का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील और सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज की.

याचिकाकर्ता के वकील ने जमानत मंजूर किए जाने का अनुरोध करते हुए दलील दी थी कि हक पर किसी गवाह को प्रभावित करने का कोई आरोप नहीं है और सुनवाई के शीघ्र समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है.

सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वाई जे दस्तूर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बीएसएफ के एक पूर्व कमांडेंट सहित प्राथमिकी में नामजद अन्य आरोपियों के साथ मिलकर मुर्शिदाबाद में मवेशियों की तस्करी के लिए एक संगठित गिरोह का गठन किया.

उन्होंने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने राजनीतिक दलों और स्थानीय प्रशासन से जुड़े लोगों को भी कथित रूप से करोड़ों रुपये दिए हैं. दस्तूर ने कहा कि हक एक ताकतवर व्यक्ति है और यदि उसे जमानत पर रिहा किया गया, तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकता है.

पढ़ें- दक्षिण बंगाल सीमा पर मवेशियों की तस्करी पूरी तरह से रोकी : बीएसएफ

न्यायमूर्ति बिवास पटनायक और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि गवाहों के बयानों और उपलब्ध सामग्री से प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि याचिकाकर्ता ने भारत और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए मवेशियों की तस्करी के लिए मुर्शिदाबाद में एक गिरोह का गठन किया था. पीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, 'याचिकाकर्ता द्वारा गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.'

(पीटीआई-भाषा)

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