बिहार में जातीय जनगणना शुरू पटनाःबिहार में जाति आधारित जनगणना(Caste census started in Bihar) आज यानी 7 जनवरी से शुरू हो गई है. इस परियोजना पर 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. ये जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहला चरण 21 जनवरी तक पूरा होने की संभावना है, इसके तहत मकानों की गिनती की जाएगी. दूसरा चरण अप्रैल महीने में शुरू होगा जो 31 मई 2023 तक पूरा होगा. इस चरण में उन मकानों में रहने वाले लोगों की गिनती होगी. दूसरे चरण में जाति और पेशा सहित 26 कॉलम के फॉर्म भरे जाएंगे. बिहार की राजधानी पटना में पाटलिपुत्र अंचल के वार्ड संख्या 27 में बैंक रोड से डीएम चंद्रशेखर सिंह (DM Chandrashekhar Singh) ने इसकी शुरुआत की.
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"ये जाति अधारित जनगणना का कार्य आज से शुरू हो गया है. दो चरणों में ये पूरा किया जाएगा. सबसे पहले आज से मकानों की गिनती की जाएगी उसके बाद जाति उप-जाति और धर्म पेशा सभी की जानकारी ली जाएगी. ये एक महत्वपूर्ण कार्य है, जिसको पूरा होने में 5 महीने लग जाएंगे. इस काम में जिले के शिक्षक, आंगनबाड़ी, मनरेगा और जीविका कार्यकर्ताओं को लगाया गया है. जो घर-घर जाकर ऐप के माध्यम से लोगों की पूरी जानकारी एकत्र करेंगे. पटना में 20 लाख परिवारों की जनगणना करनी है. जो लोग घर से बाहर दूसरे शहर में हैं, उनको भी इसमें शामिल किया जाएगा.लोगों में काफी उत्साह है. "-चंद्रशेखर सिंह, डीएम, पटना
पहले चरण में घरों की संख्या की होगी गिनतीः राज्य में जाति आधारित जनगणना करवाने की जिम्मेवारी सरकार ने जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को सौंपी है. जनगणना कर्मियों में शिक्षक, आंगनबाड़ी, मनरेगा या जीविका कार्यकर्ता शामिल हैं, जो राज्य के सभी घरों की संख्या की गणना करेंगे. वहीं, अप्रैल महीने से शुरू होने वाले दूसरे चरण में सभी जातियों, उप-जातियों और धर्मों के लोगों से संबंधित डेटा एकत्र किया जाएगा. इस सर्वे में शामिल लोगों को ट्रेनिंग पहले ही दे दी गई है. जीएडी ने जातीय जनगणना सर्वे का ब्लूप्रिंट भी तैयार किया है. पंचायत से जिला स्तर तक आठ स्तरीय सर्वेक्षण के तहत एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डेटा डिजिटल रूप से जमा किया जाएगा. ऐप में स्थान, जाति, परिवार में लोगों की संख्या, उनके पेशे और वार्षिक आय के बारे में प्रश्न होंगे.
जिला स्तर पर जनगणना की सभी तैयारियां पूरीः वहीं, जिला स्तर पर भी डीएम इसके नोडल पदाधिकारी होंगे. सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्राम स्तर, पंचायत स्तर और उच्च स्तरों पर विभिन्न विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की सेवा ले सकेंगे. प्रदेश के सभी जिलों में इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है. जिला प्रशासन ने अपने-अपने जिले में जनगणना का काम शुरू कर दिया है. आज से पहले चरण के तहत सभी गणनाकर्मी अपने-अपने क्षेत्र में घर-घर पहुंचकर मकान का सूचीकरण करेंगे. सभी गणना कर्मियों के बीच सामग्री का वितरण कर दिया गया है.
ओबीसी को आबादी के हिसाब से नहीं मिला आरक्षणः अपको बता दें कि सबसे पहले जाति अधारित जनगणना 1931 में की गई थी, लेकिन उसे प्रकाशित नहीं किया गया था. उस समय पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत में ही आते थे और देश की आबादी 30 करोड़ के करीब थी. अब तक उसी आधार पर यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं. 1931 की जनगणना में ओबीसी की आबादी 52 फीसदी आंकी गई थी. इसके बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी, लेकिन जाति के आंकड़े जारी नहीं किए गए थे. जातिगत जनगणना की मांग करने वालों का कहना है कि एससी और एसटी को उनकी आबादी के आधार पर आरक्षण दिया गया था, लेकिन ओबीसी के मामले में ऐसा नहीं हुआ.
जाति आधारित जनगणना की थी मांगःजातिगत जनगणना की जरुरत को देखते हुए बिहार विधानसभा ने इसके पक्ष में 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए. इसके बाद जून 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार में एक सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से इसे आगे बढ़ाया गया. वहीं, बिहार सरकार का कहना है कि गैर-एससी और गैर-एसटी से संबंधित आंकड़ों के अभाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या का सही अनुमान लगाना मुश्किल है. वहीं, इस जनगणना की मांग करने वालों का भी कहना है कि कोटा को संशोधित करने की जरूरत है और इसके लिए जाति आधारित जनगणना की जरूरत है.
जातिगत जनगणना में शामिल हुईं 204 जातियांःआपको याद दिला दें कि पिछले साल अगस्त में तत्कालीन एनडीए सरकार के साथ साझेदारी में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर बिहार में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. लेकिन केंद्र द्वारा जाति आधारित जनगणना के अपने प्रस्ताव को खारिज करने के बाद राज्य सरकार ने इसे अपने दम कराने की बात कही थी, जो 7 जनवरी से शुरू भी हो गई. इसके लिए बिहार सरकार की ओर से 204 जातियों की पहचान की गई है. जिसमें अति पिछड़ा 113, पिछड़ा 30, एससी 32, एसटी 32 और सामान्य वर्ग की 7 जातियां शामिल हैं.