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बूथ कब्जा और फर्जी वोटिंग के मामलाें पर सुप्रीम काेर्ट सख्त - Supreme Court on Cases of booth capturing

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को झारखंड में एक मतदान केंद्र पर दंगा करने के मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए कहा कि बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः कानून और लोकतंत्र के शासन को प्रभावित करता है.

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Published : Jul 23, 2021, 1:41 PM IST

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने अपने पहले के फैसलों का जिक्र करते हुए कहा कि मतदान की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है. पीठ ने कहा कि चुनावी प्रणाली का सार यह होना चाहिए कि मतदाताओं को अपनी पसंद का प्रयोग करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो. इसलिए बूथ कब्जा करने या फर्जी वोटिंग के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए क्योंकि यह अंततः लोकतंत्र और कानून के शासन को प्रभावित करता है.

न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वोट डालने की गोपनीयता जरूरी है. पीठ ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों में गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है, लोकतंत्र में जहां प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं, ऐसे में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि मतदाता बिना किसी डर के अपना वोट डाले और अपने वोट का खुलासा होने पर उसे निशाना नहीं बनाया जाए.

पीठ ने कहा कि लोकतंत्र और स्वतंत्र चुनाव संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं. चुनाव एक ऐसा तंत्र है जो अंततः लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है. किसी को भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के अधिकार को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

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शीर्ष अदालत ने लक्ष्मण सिंह की अपील खारिज कर दी. सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाना) और 147 (दंगा) के तहत दोषी ठहराया गया था. याचिका में कहा गया कि राज्य ने सिंह को दी गई छह महीने की सजा के खिलाफ अपील को प्राथमिकता नहीं दी.

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